राजनीति में सफलता के योग
नीतिकारक ग्रह राहु, सत्ता का कारक सूर्य, न्याय-प्रिय ग्रह गुरु, जनता का हितैषी शनि और नेतृत्व का कारक मंगल जब राज्य-सत्ता के कारक दशम भाव, दशम से दशम सप्तम भाव, जनता की सेवा के छठे भाव, लाभ एवं भाग्य स्थान से शुभ संबंध बनाए तो व्यक्ति सफल राजनीतिज्ञ बनता है। व्यक्ति सफल राजनीतिज्ञ बनेगा या नहीं इसका बहुत कुछ उसके जन्मकालिक ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। अन्य व्यवसायों एवं करियर की भांति ही राजनीति में प्रवेश करने वालों की कुंडली में भी ज्योतिषीय योग होते हैं।
राहु:-राजनीति में राहु का महत्वपूर्ण स्थान है। राहु को सभी ग्रहों में नीतिकारक ग्रह का दर्जा दिया गया है। इसका प्रभाव राजनीति के घर से होना चाहिए। राहु के शुभ प्रभाव से ही नीतियों के निर्माण व उन्हें लागू करने की क्षमता व्यक्ति विशेष में आती है। राजनीति के घर (दशमभाव) से राहु का संबंध बने तो राजनेता में स्थिति के अनुसार बात करने की योग्यता आती है। सफल राजनेताओं की कुंडली में राहु का संबंध छठे, सातवें, दशमें व ग्यारहवें भाव से देखा गया है। छठे भाव को सेवा का भाव कहते हैं। व्यक्ति में सेवा भाव होने के लिए इस भाव से दशम या दशमेश का संबंध होना चाहिए। सातवां भाव दशम से दशम है इसलिए इसे विशेष रूप से देखा जाता है।
सूर्य:- राजनीति के क्षेत्र में सफलता के लिए सूर्य ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रह है क्योंकि सूर्य को ही सरकार और सत्ता का कारक माना गया है इसके अलावा शासन की कुशलता, प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा, इच्छाशक्ति और यश का कारक भी सूर्य ही होता है और राजनीति में आगे बढ़ने के लिए प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा का होना बहुत आवश्यक है इसलिए भी राजनीति में सफलता पाने के लिए कुण्डली में सूर्य का बलि होना आवश्यक है।
शनि:- शनि को जनता और जनता से मिलने वाला सपोर्ट का कारक माना गया है और सक्रीय राजनीति में सफल होने के लिए जनता के साथ मिलना बहुत आवश्यक है अतः कुण्डली में बलवान शनि जनता का सहयोग दिलाकर व्यक्ति को सफल राजनेता बनाता है।
चतुर्थ-भाव- कुण्डली का चौथा भाव भी जनता का कारक है अतः राजनीति में सफलता के लिए कुण्डली के चतुर्थ भाव और चतुर्थेश का बलि होना भी बहुत आवश्यक है।
षष्ठ और तृतीय भाव- कुण्डली का छठा और तीसरा भाव प्रतिस्पर्धा की क्षमता और विरोधियों पर विजय को दर्शाता है अतः कुण्डली में इन दोनों भावों का बलि होना भी राजनीति में सहायक होता है तथा विरोधियों पर विजय दिलाकर प्रतिस्पर्धा में आगे रखता है।
दशम भाव-जन्म कुंडली के दशमें घर को राजनीति का घर कहते हैं। सत्ता में भाग लेने के लिए दशमेश और दशम भाव का मजबूत स्थिति में होना आवष्यक है। दशम भाव में उच्च, मूल त्रिकोण या स्वराशिस्थ ग्रह के बैठने से व्यक्ति को राजनीति के क्षेत्र में बल मिलता है। गुरु नवम भाव में शुभ प्रभाव में स्थित हो और दशम घर या दशमेश का संबंध सप्तम भाव से हो तो व्यक्ति राजनीति में सफलता प्राप्त करता है। सूर्य राज्य का कारक ग्रह है अत: यह दशम भाव में स्वराशि या उच्च राशि में होकर स्थित हो और राहु छठे, दशवें व ग्यारहवें भाव से संबंध बनाए तो राजनीति में सफलता की प्रबल संभावना बनती है। इस योग में वाणी के कारक (द्वितीय भाव के स्वामी) ग्रह का प्रभाव आने से व्यक्ति अच्छा वक्ता बनता है।
शनि दशम भाव में हो या दशमेश से संबंध बनाए और इसी दशम भाव में मंगल भी स्थित हो तो व्यक्ति समाज के लोगों के हितों के लिए राजनीति में आता है। यहां शनि जनता का हितैषी हैऔर मंगल व्यक्ति में नेतृत्व का गुण दे रहा है। दोनों का संबंध व्यक्ति को राजनेता बनने के गुण प्रदान करेगा। सूर्य और राहु के अमात्यकारक बनने से व्यक्ति रुचि होने पर राजनीति के क्षेत्र में सफलता पाने की संभावना रखता है और समाज में मान सम्मान तथा उच्च पद की प्राप्ति होती है। जन्मकुंडली, नवमांश तथा दशमांश तीनों कुंडलियों में समान तथा योग व्यक्ति को राजनीति में ऊंचाइयों पर ले जाते हैं।
राजनैतिक सफलता के कुछ विशेष योग:-
1. यदि सूर्य स्वराशि या उच्च राशि के सिंह, मेष में होकर केन्द्र, त्रिकोण आदि शुभ भावों में बैठा हो तो राजनीति में सफलता मिलती हैं। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी मेष लग्न की कुण्डली है तो 5th हाउस में सिंह राशि में सूर्य स्वग्रह होकर स्थित होंगे एवं 5th हाउस कुण्डली का त्रिकोण भाव होता हैं तब यह योग बनता है। और ऐसे व्यक्तियों को राजनीति में सफलता प्राप्त होती है।
2. सूर्य 10th हाउस में हो या 10th हाउस पर सूर्य की दृष्टि हो तो राजनीति में सफलता मिलती है। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी मिथुन लग्न की कुण्डली है तो 10th हाउस में मीन राशि में सूर्य स्थित हो या सूर्य 4th हाउस कन्या राशि में स्थित होेकर 10th हाउस पर पूर्ण दृष्टि होती है तब यह योग बनता है। और ऐसे व्यक्तियों को राजनीति में सफलता प्राप्त होती है।
3. सूर्य यदि मित्र राशि में शुभ भाव में हो और अन्य किसी प्रकार पीड़ित ना हो तो भी राजनैतिक सफलता मिलती है। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी कर्क लग्न की कुण्डली है तो सूर्य 10th हाउस में मेष राशि में मित्रराशिस्थ होकर शुभ भाव मे होगा। तब यह योग बनता है। और ऐसे व्यक्तियों को राजनीति में सफलता प्राप्त होती है।
4. शनि यदि स्वराशि या उच्च राशि मकर, कुंभ, तुला में होकर केन्द्र त्रिकोण आदि शुभ स्थानों में बैठा हो तो राजनीति में अच्छी सफलता मिलती है। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी वृषभ लग्न की कुण्डली है तो शनि 9th हाउस में मकर राशि में स्वग्रही होकर स्थित होंगे जो कि त्रिकोण भाव है या फिर शनि 10th हाउस में कुंभ राशि में स्वग्रही होकर स्थित होंगे जो कि केन्द्र भाव है। तब यह योग बनता है। और ऐसे व्यक्तियों को राजनीति में सफलता प्राप्त होती है।
5. यदि चतुर्थेश चैथे भाव में बैठा या चतुर्थेश की चतुर्थ भाव पर दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति को विशेष जनसमर्थन मिलता है। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी सिंह लग्न की कुण्डली है तो 4th हाउस के लाॅर्ड मंगल 4th हाउस में स्वग्रही होकर स्थित होंगे जोकि त्रिकोण भाव है या फिर 4th हाउस के लाॅर्ड मंगल 10th हाउस में स्थित होकर 4th हाउस पर दृष्टि हो तब यह योग बनता है। और ऐसे व्यक्तियों को राजनीति में सफलता प्राप्त होती है।
6. 4th हाउस के लाॅर्ड का स्वगृही या उच्च राशि में होकर शुभ स्थान में होना भी राजनैतिक सफलता में सहायक होता है। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी कर्क लग्न की कुण्डली है तो 4th हाउस के लाॅर्ड शुक्र 9th हाउस में मीन राशि में उच्च के होकर विराजमान हो तब यह योग बनता है। और ऐसे व्यक्तियों को राजनीति में सफलता प्राप्त होती है।
7. दशमेश और चतुर्थेश का योग हो तो दशमेश चतुर्थ भाव में और चतुर्थेश दशम भाव में हो तो ये भी राजनीति में सफलता दिलाता है। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी कुंभ लग्न की कुण्डली है तो 10th हाउस के लाॅर्ड मंगल 4th हाउस में वृषभ राशि में विराजमान हो तथा 4th हाउस के लाॅर्ड शुक्र 10th हाउस में विराजमान हो तब यह योग बनता है। और ऐसे व्यक्तियों को राजनीति में सफलता प्राप्त होती है।
8. सूर्य और बृहस्पति का योग केन्द्र, त्रिकोण में बना हो तो ये भी राजनैतिक सफलता दिलाता हैं। उदाहरण के तौर पर समझिये आपकी धनु लग्न की कुण्डली है तो सूर्य 5th हाउस में मेष राशि में त्रिकोण में स्थित हो और देवगुरु बृहस्पति 10th हाउस में केन्द्र में स्थित हो तब यह योग बनता है। और ऐसे व्यक्तियों को राजनीति में सफलता प्राप्त होती है।
9. कर्क लग्न में पैदा होने वाला अधिकतर व्यक्ति नेतृत्व गुणों से संपन्न होता है। भारत के अधिकतर शासक इस लग्न या राशि के है। उनमें मुख्य हैं- पं. जवाहरलाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, इन्द्र कुमार गुजराल, श्रीमती सोनिया गांधी, एच डी देवेगौड़ा, डाॅ. मनमोहन सिंह आदि।
10. बृहस्पति यदि बलि होकर लग्न में बैठा हो तो राजनैतिक सफलता दिलाता है।
उपाय:- राजनीति से जुड़ें या राजनीति में जाने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को सूर्य की उपासना अवश्य करनी चाहिए।
1. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
2. सूर्यदेव को तांबे के कलश में कुंकुंम एवं गुड़ मिलाकर जल अर्पित करें।
3. ऊँ घृणि सूर्याय नमः का जाप करें।