भविष्यवाणीयाँ … जो कभी असत्य नहीं होती !
यद्यपि ज्योतिष ऐसा उलझा विज्ञान है , जिसमें पूर्ण निपुणता प्राप्त करना बहुत कठिन है किंतु इसके कुछ स्थूल और सर्वमान्य पक्ष भी हैं । जिनकी सत्यता की परख कोई साधारण व्यक्ति भी कर सकता है । ज्योतिष के ऐसे ही अकाट्य संयोगों को आज आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूँ ।
1 . किसी भी जन्म कुंडली मे चन्द्रमा 10 वें अंक अर्थात मकर राशि मे किसी भी घर में स्थित हो तो उस व्यक्ति को जीवन में एक बार तो अवश्य ही भयँकर विफलता झेलनी ही होगी , समाज में अपना मुख दिखाने में भी संकोच करेगा ।
2. चन्द्रमा के साथ एक ही घर में शनि , राहु अथवा मंगल जैसे दुष्ट ग्रह हो तो वह व्यक्ति मानसिक रूप से इतना परेशान होगा कि लगे पागल है ।
3. चन्द्रमा चार दुष्ट ग्रहों शनि , राहु , मंगल , केतु में से किसी दो के साथ किसी भी घर मे हो अथवा दो दुष्ट ग्रह चन्द्रमा को देखते हैं तब भी उपरोक्त से मिलता जुलता प्रभाव ही पड़ता है। । यदि दो दुष्ट ग्रह चंद्र के साथ न हों किन्तु उससे अगले पिछले घर में हों तो भी मानसिक यातना और परेशानी का अनुभव उस व्यक्ति को होता ही है ।
4. यदि किसी की कुंडली मे मंगल और शुक्र एक ही भाव मे साथ हों तो उस व्यक्ति के विवाह पश्चात भी अन्यत्र सम्बन्ध होते ही हैं ।चाहे वो कितना ही संयमी और सदाचारी हो ।
5. यदि कुंडली मे 10 नम्बर अर्थात मकर राशि का मंगल हो तो दो परिणाम होंगे , यदि कुंडली महिला की है तो उसके पिता का स्वभाव बात बात में भद्दी गालियां देना होगा और यदि पुरुष की है तो ऐसी ही अभद्र भाषा का प्रयोग उसके चाचा करेंगे । साथ ही वह व्यक्ति उत्तम श्रेणी का विद्यार्थी भी होगा ।
6. शनि यदि तुला राशि 7 अंक में होगा तब वह विद्वान और श्रेष्ठ विद्यार्थी होगा ।
7. यदि गुरु 4 अंक में अर्थात कर्क राशि मे उच्च होगा तो वो व्यक्ति सज्जन , उदार ह्रदय , चरित्रवान और सत्यवादी होगा ।
8. यदि लग्न में मंगल हो और अस्त न हो तो व्यक्ति क्रोधी होगा ही ।
9. यदि लग्न मेष है तो व्यक्ति धैर्यहीन होगा ।
10. कर्क लग्न में या नौवें घर अथवा भाव कहें में गुरु और चन्द्र स्थित हों तो वह व्यक्ति महान नेता , निडर सत्यवादी और ख्याति प्राप्त हो ।
11. यदि मकर लग्न में अकेला केतु हो वो व्यक्ति जर्जर शरीर , जिसके देह में माँस न दिखता हो पीत शरीर वाला होता है और क्षय रोग tb से पीड़ित हो ।
12. तीसरे भाव का मंगल व्यक्ति को साहसी बनाता है ।
13. किसी भी भाव में मकर राशि मे चार ग्रह वाला व्यक्ति कलंक , लज्जा या पराजय की भावना से ग्रस्त होता है और समाज के उच्च लोगो के सामने प्रकट होने में लज्जा महसूस करे ।
14 . किसी भी घर मे चन्द्र और राहु साथ हों वो व्यक्ति कारावास , आरोप , मुक़्क़दमें , अकस्मात दुःख आदि से ग्रस्त हो ।
15 . किसी भी भाव में गुरु और चन्द्र अथवा शुक्र और चन्द्र साथ हों , वो व्यक्ति बहुत सुंदर आकर्षक होगा और यदि यही सहयोग चौथे भाव में हों तो माता का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक होता है । यदि यही सहयोग सप्तम भाव अर्थात पत्नी के भाव मे हो तो पत्नी लुभावन होगी ।और यदि दशम भाव हो तो पिता सुंदर होंगें ।
16 . चन्द्र , शनि एक साथ चौथे घर हों तो बचपन और जवानी घोर आपदाओं में बीते ।