आज 15 फरवरी से शुरु हो रहे है पंचक, भूलकर भी न करें ये काम
15 फरवरी से माघ अमावस्या होने के साथ-साथ पंचक शुरु हो रहे है। इसके साथ ही खण्डग्रास सूर्यग्रहण भी है। जानिए पंचक के प्रकार और कौन से काम करने की है मनाही।
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इस समय होगा पंचक
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15 फरवरी रात 08:40 से शुरू होकर 20 फरवरी को दोपहर 02:03 तक पंचक नक्षत्र भी रहेंगे।
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क्या होता है पंचक
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धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण से रेवती तक के नक्षत्रों को पंचक नक्षत्र कहा जाता है। आज धनिष्ठा नक्षत्र के साथ पंचक की शुरुआत हुआ है। पंचक इन 5 खास नक्षत्र में ही लगता है जो कि धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। जिसमें कोई भी शुभ काम करने की मनाही है।
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पंचक के प्रकार
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मृत्यु पंचक
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शनिवार को शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहते है। इस पंचक में शादी जैसे शुभ काम करने की मनाही होती है। इस पंचक में कोई भी ऐसे काम नही करना चाहिए जोखिम भरे हो। ऐसा करने से जान माल का नुकसान हो सकता है।
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अग्नि पंचक
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मंगलवार को शुरू होने वाले पंचक को अग्नि पंचक कहते है। इस पंचक में घर का निर्माण या फिर ग्रह प्रवेश की मनाही होती है। लेकिन इस पंचक में कोर्च से संबंधिक कोई विवाद हो तो उसे किया जा सकता है। इल पंचक में आग का डर रहता है।
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रोग पंचक
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यह पंचक पांच दिनों के लिए शारीरिक और मानसिक कष्ट देने वाला होता है। इस पंचक में यज्ञोपवीत भी नही किया जाता है। हर शुभ काम की मना ही होती है। यह पंचक रविवार से शुरू होता है।
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नृप पंचक
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यह पंचक सोमवार से शुरु होता है। इसमें भी कोई भी नई नौकरी ज्वाइन नही करना चाहिए। अशुभ माना जाता है। इस दिनों में सरकारी नौकरी के लिए शुभ माना गया है। अगर आपकी सरकारी नौकरी है तो आपको फायदा हो सकता है।
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चोर पंचक
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शुक्रवार को शुरू होने वालें पचंक को चोर पंचक कहते है। इस दिन यात्रा करने की मनाही होती है। साथ ही इस दिनों में व्यापार लेन देन की भी मनाही होती है। अगर इस दिन मनाही वाले काम करते है तो आपको धन की हानि होती है।
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ये काम करने की होती है मनाही
पंचक के दौरान, लकड़ी, तेल, ईधन, छप्पर, इत्यादि का काम या संग्रह नहीं करनी चाहिए।
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मकार की ढलाई नहीं करनी चाहिए।
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हिंदू धर्म में माना जाता है कि पंचक के दिनों में चारपाई बनवाना अच्छा नहीं होता है। यह बड़े संकट का बुलावा होता है।
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पंचक में अगर किसी की मृत्यु हो गई है तो उसके अंतिम संस्कार ठीक ढंग से न किया गया तो पंचक दोष लग सकते है। इसके बारें में विस्तार से गरुड़ पुराण में बताया गया है जिसके अनुसार अगर अंतिम संस्कार करना है तो किसी विद्वान पंडित से सलाह लेनी चाहिए और साथ में जब अंतिम संस्कार कर रहे हो तो शव के साथ आटे या कुश के बनाए हुए पांच पुतले बना कर अर्थी के साथ रखें। और इसके बाद शव की तरह ही इन पुतलों का भी अंतिम संस्कार विधि-विधान से करें।
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नये काम और जमीन जायदाद, वाहन आदि की खरीद बेच नहीं करनी चाहिए।
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अगर किसी की शादी हुई है तो नई दुलिहन को घर न लाना चाहिए। इसके साथ ही विदा भी नहीं करना चाहिए।