चंद्र रत्न मोती
ज्योतिष में चंद्रमाँ बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रह है इसका सम्बंध सीधा मन से होता है चंद्रमा किसी भी कुंडली में अगर पाप प्रभाव में होगा या कमज़ोर होगा तो व्यक्ति का मन बड़ी बुरी तरह परेशान होगा चाहे जीवन में व्यक्ति को सभी सुख सुविधाएँ प्राप्त हो लेकिन अगर जन्मकुंडली में चंद्रमाँ कमज़ोर या पाप प्रभाव में है तो निश्चित तोर पर व्यक्ति अवसाद से (मानसिक पीड़ा ) से ग्रस्त होगा
चंद्रमाँ जन्म कुंडली में मन ,माता,प्रेम ,रक्त ,बुखार,अवसाद (डिप्रेशन)का कारक है
यदि जातक की कुंडली में चंद्रमाँ बहुत अच्छी स्तिथि में है तो व्यक्ति कुछ अभाव में होने पर भी सदा मनमोजी (मस्त) रहता है
चंद्र रत्न मोती धारण करने के नियम :-
कर्क ,मीन ,वृश्चिक,मेष लग्न के व्यक्तियों को मोती धारण करना अत्यधिक शुभ होता है तुला लग्न के जातक को भी मोती धारण करना शुभ रहता है
लेकिन अगर किसी भी जन्मकुंडली में चंद्रमाँ कमज़ोर या पाप प्रभाव में हो तो मोती धारण किया जा सकता है चाहे लग्न कोई भी हो (निजी अनुभव भी )
मीन लग्न के जातकों के लिए मोती धारण करने से संतान सुख ,बुद्धि में वृद्धि,विद्या में लाभ,धन लाभ ,मन की शांति में विशेषकर लाभ कारी होता है
कर्क लग्न में मोती धारण करने से व्यक्ति को शारीरिक लाभ यानी स्वास्थ्य में लाभ मिलता है
वृश्चिक लग्न के जातकों के लिए मोती धारण करने से भाग्य तथा पिता सुख में लाभ होता है
मेष लग्न के जातकों के लिए मोती धारण करने से मकान ,वाहन,ओर माता के सुख में लाभ दायक होता है
तुला लग्न के जातकों को मोती धारण करने से व्यवसाय या नोकरी में लाभप्रद होता है
विशेषकर विष योग से ग्रस्त जातकों को मोती धारण करने से उनको शारीरिक लाभ एवम् मानसिक चिंता से मुक्ति मिलती है
बालरिश्ट योग में मोती धारण करना भी लाभदायक होता है
Note :- कैंसर के रोग में भी मोती धारण करना लाभप्रद होता है
Note:-किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व किसी रत्न विशेषज्ञ की सलाह लेना बहुत ज़रूरी होता है|
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