तनाव प्रबंधन भगवान शंकर से सीखें
1- जटा में गंगा और त्रिनेत्र में अग्नि (जल और आग की दुश्मनी)
2- चन्द्रमा में अमृत और गले मे जहर (अमृत और जहर की दुश्मनी)
3- शरीर मे भभूत और भूत का संग ( भभूत और भूत की दुश्मनी)
4- गले मे सर्प और पुत्र गणेश का वाहन चूहा और पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर ( तीनो की आपस मे दुश्मनी)
5- नन्दी (बैल) और मां भवानी का वाहन सिंह ( दोनों में दुश्मनी)
6- एक तरफ तांडव और दूसरी तरफ गहन समाधि ( विरोधाभास)
7- देवाधिदेव लेकिन स्वर्ग न लेकर हिमालय में तपलीन।
8- भगवान विष्णु इन्हें प्रणाम करते है और ये भगवान विष्णु को प्रणाम करते है।
इत्यादि इतने विरुद्ध स्वभाव के वाहन और गणों के बाद भी, सबको साथ लेकर चिंता से मुक्त रहते है। तनाव रहित रहते हैं।
और हम लोग विपरीत स्वभाव वाले सास-बहू, दामाद-ससुर, बाप-बेटे , माँ-बेटी, भाई-बहन, ननद-भाभी इत्यादि की नोकझोंक में तनावग्रस्त हो जाते है। ऑफिस में विपरीत स्वभाव के लोगों के व्यवहार देखकर तनावग्रस्त हो जाते हैं।
भगवान शंकर बड़े बड़े राक्षसों से लड़ते है और फिर समाधि में ध्यानस्थ हो जाते है, हम छोटी छोटी समस्या में उलझे रहते है और नींद तक नहीं आती।
युगनिर्माण में आने वाली कठिनाई से डर जाते है, सँगठित विपरीत स्वभाब वाले एक उद्देश्य के लिए रह ही नहीं पाते है।
भगवान शंकर की पूजा तो करते है, पर उनके गुणों को धारण नहीं करते।