लाल किताब और सूर्य दोष निवारण उपाय
सूर्य प्रथम भाव में होने परः-
यदि सूर्य शुभ है तो जातक धार्मिक इमारतों या भवनों का निर्माण और सार्वजनिक उपयोग के लिए कुओं की खुदाई करवाता है। उसकी आजीविका का स्थाई स्रोत अधिकांशत: सरकारी होगा। इमानदारी से कमाए गए धन में बृद्धि होगी। जातक अपनी आंखों देखी बातों पर ही विश्वास करेगा, कान से सुनी गई बातों पर नहीं। यदि सूर्य अशुभ है तो जातक के पिता की मृत्यु जातक के बचपन में ही हो जाती है। यदि शुक्र सातवें भाव में हो तो दिन के समय बनाया गया शारीरिक संबंध पत्नी को लगातार बीमारी देता है और तपेदिक के संक्रमण का भय पैदा करता है। पहले भाव का अशुभ सूर्य और पांचवें भाव का मंगल एक-एक कर संतान की मृत्यु का कारण होगा। इसी प्रकार पहले भाव का अशुभ सूर्य और आठवें भाव का शनि एक-एक करके संतान की मृत्यु का कारण बनता है। यदि सातवें भाव में कोई ग्रह न हो तो 24 से पहले विवाह कर लेना जातक के लिए भाग्यशाली रहता है अन्यथा जातक के चौबीसवां साल विनाशकारी साबित होगा।
उपाय:
(1) 24 वर्ष से पहले ही शादी कर लें।
(2) दिन के समय यौन संबंध न बनाएं।
(3) अपने पैतृक घर में पानी के लिए एक हैंडपंप लगवाएं।
(4) अपने घर के अंत में बाईं ओर एक छोटे और अंधेरे कमरे का निर्माण कराएं।
(5) पति या पत्नी दोनों में से किसी एक को गुड़ खाना बंद कर देना चाहिए।
सूर्य द्वितीय भाव में होने परः-
यदि सूर्य शुभ है तो जातक आत्मनिर्भर होगा, शिल्पकला में कुशल और माता-पिता, मामा, बहनों, बेटियो तथा ससुराल वालों का सहयोग करने वाला होगा। यदि चंद्रमा छठवें भाव में होगा तो दूसरे भाव का सूर्य और भी शुभ प्रभाव देगा। आठवें भाव का केतू जातक को अधिक ईमानदार बनाता है। नौवें भाव का राहू जातक को प्रसिद्ध कलाकार या चित्रकार बनता है। नवम भाव का केतू जातक को महान तकनीकी जानकार बनाता है। नवम भाव का मंगल जातक को फैशनेबल बनाता है। जातक का उदार च्ररित्र उसके दुश्मनों की बृद्धि को रोकता है। यदि सूर्य अशुभ है तो सूर्य से सम्बंधित चीजों और रिश्तों जैसे पत्नी, धन, विधवाओं, गाय, स्वाद, माँ आदि पर बुरा प्रभाव पडता है। धन और सम्पत्ति को लेकर विवाद होता है। जातक की पत्नी जातक को बिगाडने वाली होगी। यदि चंद्रमा आठवें भाव में और सूर्य दूसरे भाव में हो तो दान में कोई वस्तु नहीं लेनी चाहिए अन्यथा जातक पूरी तरह विनाश को प्राप्त होगा। यदि सूर्य दूसरे, मंगल पहले और चंद्रमा बारहवें भाव में हो तो जातक की हालत गंभीर हो सकती है और वह हर तरीके से दयनीय होगा। यदि दूसरे भाव में सूर्य अशुभ हो तो आठवें भाव में स्थित मंगल जातक को लालची बनाता है।
उपाय:
(1) किसी धार्मिक स्थान में नारियल का तेल, सरसों का तेल और बादाम दान करें।
(2) धन, संपत्ति, और महिलाओं से जुड़े विवादों से बचें।
(3) दान लेने से बचें, विशेषकर चावल, चांदी, और दूध का दान नहीं लेना चाहिए।
सूर्य तृतीय भाव में होने पर:-
यदि सूर्य शुभ है तो जातक अमीर, आत्मनिर्भर और छोटे भाइयों से युक्त होगा। जातक पर ईश्वरीय कृपा होगी और वह बौद्धिक व्यवसाय द्वारा लाभ कमाएगा। वह ज्योतिष और गणित में रुचि रखने वाला होगा। यदि तीसरे भाव में सूर्य अशुभ है और कुण्डली में चन्द्रमा भी अशुभ है तो जातक के घर में दिनदहाडे चोरी या डकैती हो सकती है। यदि नवम भाव भी पीडित है तो जातक के पूर्वज गरीब होंगें। यदि पहला भाव पीडित है तो जातक के पडोसियों का विनाश हो सकता है।
उपाय:
(1) मां को खुश रखते हुए उसका आशिर्वाद लें
(3) दूसरों को चावल या दूध परोसें
(4) सदाचारी रहें और बुरे कामों से बचने का प्रयास करें
सूर्य चतुर्थ भाव में हो तो:-
यदि सूर्य शुभ है तो जातक बुद्धिमान, दयालु और अच्छा प्रशासक होगा। उसके पास आमदनी का स्थिर श्रोत होगा। ऐसा जातक मरने के बाद अपने वंशजों के लिए बहुत धन और बडी विरासत छोड जाता है। यदि चंद्रमा भी सूर्य के साथ चौथे भाव में स्थित है तो जातक किसी नए शोध के माध्यम से बहुत धन अर्जित करेगा। ऐसे में चौथे भाव या दसम भाव का बुध जातक को प्रसिद्ध व्यापारी बनाता है। यदि सूर्य के साथ बृहस्पति भी चौथे भाव में स्थित है तो जातक सोने और चांदी के व्यापर से अच्छा मुनाफा कमाता है। यदि चौथे भाव में सूर्य अशुभ है तो जातक लालची होगा। जातक को चोरी करने और दूसरों को नुकसान पहुचाने में मजा आता है। यह प्रवृत्ति अंततः बहुत बुरे परिणाम को जन्म देती है। यदि शनि सातवे भाव में हो तो जातक को रतौंधी रोग हो सकता है। यदि सूर्य चौथे भाव मे पीडित हो और मंगल दसम भाव में हो तो जातक की आंखों में दोष हो सकता है लेकिन उसकी किस्मत कमजोर नहीं होगी। यदि अशुभ सूर्य चतुर्थ भाव में हो साथ ही चंद्रमा पहले या दूसरे भाव में हो और शुक्र पंचम भाव तथा शनि सातवें भाव में हो तो जातक नपुंसक हो सकता है।
उपाय:
(1) जरूरतमंद और अंधे लोगों को दान दें और खाना बांटें।
(2) लोहे और लकड़ी के साथ जुड़ा व्यापार न करें।
(3) सोने, चांदी और कपड़े से सम्बंधित व्यापार, लाभकारी रहेंगे।
सूर्य पंचम भाव में होने पर:-
यदि सूर्य शुभ है तो निश्चित ही परिवार तथा बच्चों की प्रगति और समृद्धि होगी। यदि मंगल पहले अथवा आठवें भाव में हो तथा राहू या केतू और शनि नौवें और बारहवें भाव में हो तो जातक राजसी जीवन जीता है। यदि पांचवें भाव में कोई सूर्य का शत्रु ग्रह स्थित है तो जातक को सरकार जनित परेशानियों का सामना करना पडेगा। यदि बृहस्पति नौवें या बारहवें भाव में स्थित है तो जातक के शत्रुओं का विनाश होगा लेकिन यह स्थिति जातक के बच्चों के लिए ठीक नहीं है। यदि पांचवें भाव का सूर्य अशुभ है और बृहस्पति दसवें भाव में है तो जातक की पत्नी जीवित नहीं रहती और चाहे जितने विवाह करें पत्नियां मरती जाएंगी। यदि पांचवें भाव में अशुभ सूर्य हो और शनि तीसरे भाव में हो तो जातक के पुत्र जीवित नहीं रहते।
उपाय:
(1) संतान पैदा करने में देरी नहीं करनी चाहिए।
(2) अपनी रसोई घर के पूर्वी भाग में बनाएँ।
(3) लगातार 43 दिनों तक सरसों के तेल की कुछ बूंदे जमीन पर गिराएं।
सूर्य शष्टम भाव में होने पर:-
यदि सूर्य शुभ है तो जातक भाग्यशाली, क्रोधी, सुंदर जीवनसाथी वाला तथा सरकार से लाभ पाने वाला होता है। यदि सूर्य छठे भाव में हो, चंद्रमा, मंगल और बृहस्पति दूसरे भाव में हों तो परंपरा का निर्वाह करना फायदेमंद रहता है। यदि सूर्य छ्ठे भाव में हो और सातवें भाव में केतू या राहू हो तो जातक के एक पुत्र होगा और 48 सालों के भाग्योन्नति होती है। यदि दूसरे भाव में कोई भी ग्रह न हों तो जातक को जीवन के 22वें साल में सरकारी नौकरी मिलती है। यदि सूर्य अशुभ हो तो जातक का पुत्र और ननिहाल के लोगों को मुसीबतों का सामना करना पडता है। जातक का स्वास्थ भी ठीक नहीं रहता। यदि मंगल दशम भाव में स्थित हो तो जातक के पुत्र एक एक करके मरते जाएंगे। बारहवें भाव में स्थित बुध उच्च रक्त चाप का कारण बनता है।
उपाय:
(1) कुल परम्परा और धार्मिक परम्पराओं कड़ाई से पालन करें अन्यथा परिवार की प्रगति और प्रसन्नता नष्ट होती है।
(2) घर के आहाते (परिसर) में भूमिगत भट्टियों का निर्माण न करें।
(3) रात में भोजन करने के बाद दूध का छिड़काव करके रसोई की आग और स्टोव आदि को बुझाएं।
(4) हमेशा अपने घर के परिसर में गंगाजल रखें।
(5) बंदरों को गेहूं अथवा गुड़ खिलाएं।
सूर्य सप्तम भाव में होने पर:-
सातवें भाव में स्थित सूर्य यदि शुभ है और यदि बृहस्पति, मंगल अथवा चंद्रमा दूसरे भाव में है तो जातक सरकार में मंत्री जैसा पद प्राप्त करता है। बुध उच्च का हो या पांचवें भाव में हो अथवा सातवां भाव मंगल से देखा जा रहा हो तो जातक के पास आमदनी का अंतहीन श्रोत होता है। यदि सातवें भाव में स्थित सूर्य हानिकारक हो और बृहस्पति, शुक्र या कोई और अशुभ ग्रह ग्यारहवें भाव में स्थित हो तो तथा बुध किसी भी भाव में नीच का हो तो जातक की मौत किसी मुठभेड में परिवार के कई सदस्यों के साथ होती है। जातक को सरकार की ओर से परेशानियां तथा तपेदित और अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं। आगजनी, सांवलापन और अन्य पारिवारिक कष्ट से आई झुंझलाहट जातक को वैरागी बनने या आत्महत्या करने को मजबूर कर सकती है। सातवें भाव हानिकारक सूर्य हो और मंगल या शनि दूसरे या बारहवें भाव में स्थित हों तथा चंद्रमा पहले भाव में हो तो जातक को कुष्ट या ल्यूकोडर्मा जैसे चर्मरोग हो सकते हैं।
उपाय:
(1) नमक सेवन की मात्रा को कम करें।
(2) किसी भी काम को शुरू करने से पहले मीठा खाएं और उसके बाद पानी जरूर पियें।
(3) खाना खाने से पहले रोटी का एक टुकड़ा रसोई घर की आग में डालें।
(4) काली अथवा बिना सींग वाली गाय को पालें और उसकी सेवा करें लेकिन ध्यान रहे गाय सफेद नहीं होनी चाहिए।
सूर्य अष्टम भाव में होने पर:-
आठवें भाव स्थित सूर्य यदि अनुकूल हो तो उम्र के 22वें वर्ष से सरकार का सहयोग मिलता है। ऐसा सूर्य जातक को सच्चा, पुण्य और राजा की तरह बनाता है। कोई उसे नुकसान पहुँचाने में सक्षम होता। यदि आठवें भाव स्थित सूर्य अनुकूल न हो तो दूसरे भाव में स्थित बुध आर्थिक संकट पैदा करेगा। जातक अस्थिर स्वभाव, अधीर और अस्वस्थ्य रहेगा।
उपाय:
(1) घर में कभी भी सफेद कपड़े न रखें।
(2) दक्षिण मुखी घर में न रहें।
(3) हमेशा किसी भी नए काम शुरू करने से पहले मीठा खाकर पानी पिएं।
(4) यदि सम्भव हो तो किसी जलती हुई चिता में तांबे के सिक्के डालें।
(5) बहते हुए पानी में गुड़ बहाएं।
सूर्य नवम भाव में होने पर:-
नवमें भाव स्थित सूर्य यदि अनुकूल हो तो जातक भाग्यशाली, अच्छे स्वभाव वाला, अच्छे पारिवारिक जीवन वाला और हमेशा दूसरों की मदद करने वाला होगा। यदि बुध पांचवें घर में होगा तो जातक का भाग्योदय 34 साल के बाद होगा। यदि नवमें भाव स्थित सूर्य अनुकूल न हो तो जातक बुरा और अपने भाइयों के द्वारा परेशान किया जाएगा। सरकार से अरुचि और प्रतिष्ठा की हानि।
उपाय:
(1) उपहार या दान के रूप में चांदी की वस्तुएं कभी स्वीकार न करें। चांदी की वस्तुएं अक्सर दान करते रहें।
(2) पैतृक बर्तन और पीतल के बर्तन नहीं बेचना चाहिए बल्कि इन्हें हमेशा इस्तेमाल करना चाहिए।
(3) अत्यधिक क्रोध और अत्यधिक कोमलता से बचें।
सूर्य दशम भाव में होने पर:-
दसम भाव में स्थित सूर्य यदि शुभ हो तो सरकार से लाभ और सहयोग मिलता है। जातक का स्वास्थ्य अच्छा और वह आर्थिक रूप से मजबूत होता है। जातक को सरकारी नौकरी, वाहनों और कर्मचारियों का सुख मिलता है। लेकिन जातक हमेशा दूसरों पर शक करता है। यदि दसम भाव में स्थित सूर्य हानिकारक हो और शनि चौथे भाव में हो तो जातक के पिता की मृत्यु बचपन में हो जाती है। सूर्य दसम भाव में हो और चंद्रमा पांचवें घर में हो तो जातक की आयु कम होती है। यदि चौथे भाव में कोई ग्रह न हों तो जातक सरकारी सहयोग और लाभ से वंचित रह रह जाएगा।
उपाय:
(1) कभी भी काले और नीले कपडे न पहनें।
(2) किसी नदी या नहर में लगातार 43 दिनों तक तांबें का एक सिक्का डालना शुभतादायक रहेगा।
(3) मांस मदिरा के सेवन से बचें।
सूर्य एकादश भाव में होने पर:-
यदि ग्यारहवें भाव में स्थित सूर्य शुभ है तो जातक शाकाहारी और परिवार का मुखिया होगा, उसके तीन बेटे होंगे औए उसे सरकार से लाभ मिलेगा। ग्यारहवें भाव में स्थित सूर्य यदि शुभ नहीं है और चंद्रमा पांचवें भाव में है तथा सूर्य पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो यह जातक की आयु को कम करने वाली होती है।
उपाय:
(1) मांस और शराब से बचें।
(2) रात में सोते समय बिस्तर के सिरहने बादाम या मूली रखकर सोएं और अगले दिन इसे किसी मंदिर में दान कर दें इससे आयु और संतान सुख में बॄद्धि होती है।
सूर्य द्वादश भाव में होने पर:-
यदि बारहवें भाव में स्थित सूर्य शुभ हो तो जातक 24 साल के बाद अच्छा धन कमाएगा और जातक का पारिवारिक जीवन अच्छा होगा। यदि शुक्र और बुध एक साथ हों तो जातक को व्यापार से लाभ मिलता है और जातक ले पास आमदनी के नियमित स्रोत होते हैं। यदि बारहवें भाव का सूर्य अशुभ हो तो जातक अवसाद ग्रस्त, मशीनरी से आर्थिक हानि उठाने वाला और सरकार द्वारा दंडित किया जाने वाला होगा। यदि पहले भाव में कोई और पाप ग्रह हो तो जातक को रात में चैन की नींद नहीं आएगी।
उपाय:
(1) हमेशा अपने घर में आंगन रखें।
(2) धार्मिक और सच्चे बनें।
(3) घर में एक चक्की रखें।
(4) अपने दुश्मनों को हमेशा क्षमा करें।
लाल किताब और चन्द्रमा दोष निवारण उपाय
चन्द्रमा प्रथम भाव में होने परः-
सामान्य तौर पर कुण्डली का पहला घर मंगल और सूर्य के प्रभाव के अंतर्गत आता है। जब चंद्रमा यहां स्थित हो तो यह भाव मंगल, सूर्य और चंद्रमा के संयुक्त प्रभाव में होगा। ये तीनों आपस में मित्र हैं और तीनो यहां की स्थिति के अनुसार परिणाम देंगे। सूर्य और मंगल इस घर में स्थित चंद्रमा को पूर्ण सहयोग देंगे। ऐसा जातक रहमदिल होगा और उसके भीतर उसकी मां के सभी लक्षण और गुण मौजूद होंगे। वह या तो भाइयों में बडा होगा या फिर उसके साथ ऐसा बर्ताव किया जाता होगा। जातक पर उसकी मां का आशिर्वाद हमेशा रहता है साथ ही वह अपनी मां को प्रसन्न रखता है ऐसा करने से वह उन्नति करता है और उसे हर प्रकार से समृद्धि मिलती है। बुध से सम्बंधित चीजें और रिश्तेदार जैसे साली और हरा रंग आदि जो चंद्रमा के लिए हानिकार है, जातक के लिए भी प्रतिकूल प्रभाव साबित होगें इसलिए बेहतर है उन लोगों से दूर रहें। दूध से खोया बनाना या लाभ के लिए दूध बेचना आदि कृत्य पहले भाव में स्थित चंद्रमा को कमजोर करते हैं इसका मतलब यदि जातक स्वयं भी इस प्रकार के कामों सें संलग्न होता है तो जातक का जीवन और सम्पत्ति नष्ट होने लगती है। ऐसे में जातक को दूध और पानी मुफ्त में बांटना चाहिए इससे आयु बढती और चारो ओर से समृद्धि आती है। ऐसा करने से जातक को 90 साल की दीर्घायु मिलती है और उसे सरकार से सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है।
उपाय:
(1) 24 से 27 वर्ष की आयु के मध्य शादी नहीं करनी चाहिए, या तो 24 साल के पहले अथवा 27 साल के बाद ही शादी करनी चाहिए।
(2) 24 से 27 वर्ष की आयु के मध्य अपनी कमाई से घर का निर्माण नहीं करना चाहिए।
(3) हरे रंग और पत्नी की बहन अर्थात शाली से दूर रहना चाहिए।
(4) घर में टोटी के साथ एक चांदी के बर्तन या केतली न रखें।
(5) यथा सम्भव बरगद की जड़ में पानी डालें।
(6) चारपाई के चारों पायों में तांबें की कीलें ठोके।
(7) अपने बच्चों के कल्याण के लिए जब भी एक नदी पार करें, हमेशा उसमें एक सिक्का डालें।
(8) हमेशा अपने घर में चांदी की एक थाली रखें।
(9) पानी या दूध पीने के लिए हमेशा चांदी के बर्तन का प्रयोग करें, कांच के बने बर्तन के उपयोग से बचें।
चन्द्रमा द्वितीय भाव में होने परः-
दूसरे भाव चंद्रमा स्थित होने पर वह भाव बृहस्पति, शुक्र और चंद्रमा के प्रभाव में होगा। क्योंकि दूसरा घर बृहस्पति का पक्का घर होता है और दूसरी राशि बृषभ का स्वामी शुक्र होता है। यहां स्थित चंद्रमा बहुत अच्छे परिणाम देता है। चंद्रमा इस घर में बहुत मजबूत हो जाता है क्योंकि उसे शुक्र के खिलाफ बृहस्पति का अनुकूल समर्थन मिल जाता है इस कारण यहां का चंद्रमा अच्छे परिणाम देता है। ऐसे में जातक के बहनें नहीं होतीं लेकिन निश्चित रूप से भाइयों की प्राप्ति होती है। लेकिन यदि ऐसा नहीं होता तो जातक की पत्नी के भाई अवश्य होते हैं। जातक को पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा जरूर मिलता है। ग्रहों की स्थिति जो भी हो लेकिन यहां स्थित चंद्रमा जातक के वंश को जरूर बढाता है। जातक अच्छी शिक्षा प्राप्त करता है जिससे उसके भाग्योदय में सहयोग मिलता है। चंद्रमा की चीजों से जुड़े व्यवसाय लाभप्रद साबित होंगे। जातक एक प्रतिष्ठित शिक्षक भी हो सकता है। बारहवें भाव में स्थित केतू यहं के चंद्रमा को ग्रहण लगाने वाला रहेगा जो जातक को अच्छी शिक्षा या पुत्र से वंचित कर सकता है।
उपाय:
(1) घर के भीतर मंदिर का होना जातक की पुत्र प्राप्ति में बाधक हो सकता है।
(2) चंद्रमा से सम्बंधित चीजें जैसे चांदी, चावल, घर की कच्ची फर्श, माँ और बुजुर्ग महिलाएं तथा उनका आशीर्वाद जातक के लिए बहुत भाग्यशाली रहेंगे।
(3) लगातार 43 दिनों तक कन्याओं (छोटी लड़कियों) को हरा कपडा बांटें।
(4) चंद्रमा से सम्बंधित चीजें जैसे चांदी का एक चौकोर टुकड़ा अपने घर की नीव में दबाएं।
चन्द्रमा तृतीय भाव में होने पर:-
तीसरे भाव में स्थित चंद्रमा पर मंगल और बुध का भी प्रभाव होता है। यहां स्थित चंद्रमा लंबा जीवन और अत्यधिक धन देने वाला होता है। तीसरे भाव में स्थित चंद्रमा के कारण यदि नवमें और ग्यारहवें घर में कोई ग्रह न हों तो मंगल और शुक्र अच्छे परिणाम देंगें। जातक शिक्षा और सीखने की प्रगति के साथ, जातक के पिता की अर्थिक स्थिति खराब होगी लेकिन इससे जातक की शिक्षा और सीखने की प्रगति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडेगा। यदि केतु कुण्डली में किसी शुभ जगह पर है और चंद्रमा पर कोई दुश्प्रभाव नहीं डाल रहा है तो जातक की शिक्षा अच्छे परिणाम देने वाली और हर तरीके में फायदेमंद साबित होगी। यदि चंद्रमा हानिकर है, तो यह बडी धनहानि और खर्चे का कारण हो सकता है यह घटना नवमें भाव में बैठे ग्रह की दशा या उम्र में हो सकती है।
उपाय:
(1) पुत्री के जन्म के बाद चन्द्रमा से सम्बंधित चीजें जैसे चांदी और चावल आदि का दान करें तथा पुत्र के जन्म के बाद सूर्य से सम्बंधित चीजें जैसे गेहूं और गुड़ आदि का दान करें।
(2) अपनी बेटी के पैसे और धन का उपयोग न करें।
(3) आठवें घर में स्थित बुरे ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए, मेहमानों और दूसरों को खुलकर दूध और पानी बांटें।
(4) दुर्गा देवी की पूजा करें तथा कन्याओं को भोजन और मिठाई देकर उनके पांव छुएं और आशिर्वाद लें।
चन्द्रमा चतुर्थ भाव में हो तो:-
चौथे भाव में स्थित चंद्रमा पर केवल चंद्रमा का ही पूर्णरूपेण प्रभाव होता है क्योंकि वह चौथे भाव और चौथी राशि दोनो का स्वामी होता है। यहां चन्द्रमा हर प्रकार से बहुत मजबूत और शक्तिशाली हो जाता है। चंद्रमा से संबन्धित वस्तुएं जातक के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती हैं। मेहमानों को पानी की के स्थान पर दूध भेंट करें। मां या मां के जैसी स्त्रियों का पांव छूकर आशिर्वाद लें। चौथा भाव आमदनी की नदी है जो व्यय बढानें के लिए जारी रहेगी। दूसरे शब्दों में खर्चे आमदनी को बढाएंगे। जातक प्रतिष्ठित और सम्मानित व्यक्ति होने के साथ-साथ नरम दिल और सभी प्रकार से धनी होगा। जातक को अपनी माँ के सभी लक्षण और गुण विरासत में मिलेंगे और वह जीवन की समस्याओं का सामना किसी शेर की तरह साहसपूर्वक करेगा। जातक सरकार से सहयोग और सम्मान प्राप्त करेगा साथ में वह दूसरों को शांति और आश्रय प्रदान करेगा। जातक निश्चित तौर पर अच्छी शिक्षा प्राप्त करेगा। यदि बृहस्पति 6 भाव में हो और चंद्रमा चौथे भाव में तो जातक को पैतृक व्यवसाय फायदा देगा। यदि जातक के पास कोई अपना कीमती सामान गिरवी रख जाएगा तो वह उसे मांगने के लिए कभी नहीं आएगा। यदि चंद्रमा चौथे भाव में चार ग्रहों के साथ हो तो जातक आर्थिक रूप से बहुत मजबूत और अमीर होगा। पुरुष ग्रह जातक की मदद पुत्र की तरह करेंगे और स्त्री ग्रह पुत्रियों की तरह।
उपाय:
(1) लाभ कमाने के लिए दूध का खोया बनाना अथवा दूध बेचना आदि कार्य से आमदनी, जीवन के विस्तार और मानसिक शांति पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा अतः इससे बचें।
(2) व्यभिचार और अनैतिक सम्बंध जातक की प्रतिष्ठा और आर्थिक मामलों के लिए हानिकारक होगें इसलिए इनसे बचाव जरूरी है।
(3) अधिक खर्च, अधिक आय।
(4) किसी भी शुभ या नया काम शुरू करने से पहले, घर में दूध से भरा कोई घड़ा या कनस्तर रखें।
(5) दशम भाव में स्थित बृहस्पति के दुष्प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए, जातक को अपने दादाजी के साथ पूजा स्थान में जाकर भगवान के चरणों में माथा रखकर चढ़ावा चढ़ाएं।
चन्द्रमा पंचम भाव में होने पर:-
पांचवें भाव में स्थित चंद्रमा के परिणाम में सूर्य, केतू और चंद्रमा का प्रभाव रहेगा। जातक हमेशा सही तरीके से पैसा कमाने की कोशिश करेगा, वह कभी भी गलत तरीके नहीं अपनाएगा। वह व्यापार में तो अच्छा नहीं कर पाएगा लेकिन निश्चित रूप से सरकार की ओर से सम्मान और सहयोग प्राप्त करेगा। उसके द्वारा समर्थित कोई भी जीत जाएगा। यदि केतू सही स्थान पर बैठा है और फायदेमंद है तो जातक के पांच पुत्र होंगें चाहे चंद्रमा किसी अशुभ ग्रह के प्रभाव में ही क्यों न हो। अपनी शिक्षा और सीख के कारण जातक दूसरों के कल्याण के लिए अनेक उपाय करेगा लेकिन दूसरे उसके लिए अच्छा नहीं करेंगे। अगर जातक लालची और स्वार्थी हो जाता है तो वह नष्ट हो जाएगा। यदि जातक अपनी योजनाओं को एक गुप्त रखने में विफल रहता है, उसके अपने ही लोग उसे नुकसान पहुंचाएंगे।
उपाय:
(1) अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग न करें ऐसा करना मुशीबतों को निमंत्रण देना होगा।
(2) लालची और स्वार्थी बनने से बचें।
(3) दूसरों के साथ छल और बेईमानी न करें, इसका आप पर ही प्रतिकूल असर होगा।
(4) किसी के खिलाफ कुछ करनें से पहले किसी और से सलाह जरूर लें इसका आपके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और आप 100 सालों तक जिएंगे।
(5) लोगों की सेवा करें इससे आपकी आमदनी और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
चन्द्रमा शष्टम भाव में होने पर:-
यह भाव बुध और केतु से प्रभावित होता है। इस घर में स्थित चंद्रमा दूसरे, आठवे, बारहवें और चौथे घरों में बैठे ग्रहों से प्रभावित होता है। ऐसा जातक बाधाओं के साथ शिक्षा प्राप्त करता है और अपनी शैक्षिक उपलब्धियों का लाभ उठाने के लिए उसे बहुत संघर्ष करना पडता है। यदि चंद्रमा छठवें, दूसरे, चौथे, आठवें और बारहवें घर में होता है तो यह शुभ भी होता है ऐसा जातक किसी मरते हुए के मुंह में पानी की कुछ बूंदें डालकर उसे जीवित करने का काम करता है। यदि छठवें भाव में स्थित चंद्रमा अशुभ है और बुध दूसरे या बारहवें भाव में स्थित है तो जातक में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति पाई जाएगी। ठीक इसी तरह यदि चन्द्रमा अशुभ है और सूर्य बारहवें घर में है तो जातक या उसकी पत्नी या दोनो ही आंख के रोग या परेशानियों से ग्रस्त होंगे।
उपाय:
(1) अपने पिता को अपने हाथों से दूध परोसें।
(2) रात के समय दूध कभी भी न पिएं। लेकिन दिन के समय दूध उपयोग किया जा सकता है। रात के समय दही और पनीर का सेवन किया जा सकता है।
(3) दूध का दान न करें। केवल पूजा के धार्मिक स्थानों पर दूध दिया जा सकता है।
(4) जातक अस्पताल या श्मशान भूमि में कुआं खुदवाएं।
चन्द्रमा सप्तम भाव में होने पर:-
सातवां घर शुक्र और बुध से संबंधित होता है। जब चंद्रमा इस भाव में स्थित होता है तो परिणाम शुक्र, बुध और चंद्रमा से प्रभावित होता है। शुक्र और बुध मिलकर सूर्य का प्रभाव देते हैं। पहला भाव सातवें को देखता है नतीजन पहले घर से सूर्य की किरणे सातवें भाव में बैठे चंद्रमा को सकारात्म रूप से प्रभावित करती हैं जिसका मतलब है कि चंद्रमा से संबंधित चीजों और रिश्तेदारों लाभकारी और अच्छे परिणाम मिलेंगे। शैक्षिक उपलब्धियां पैसा या धन कमाने के लिए उपयोगी साबित होंगी। उसके पास जमीन जायदाद हो या न हो लेकिन उसके पास नकद निश्चित रूप से हमेशा रहेगा। उसके पास कवि या ज्योतिषी बनने की अच्छी योग्यता होगी। अथवा वह चरित्रहीन हो सकता है और रहस्यवाद और अध्यात्मवाद को बहुत चाहता होगा। सातवें भाव में स्थित चंद्रमा जातक की पत्नी और मां के बीच अर्थ संघर्ष देता है जो दूध के व्यवसाय में प्रतिकूल प्रभावी होता है। ऐसे में जातक अगर मां का कहना नहीं मानता तो उसे तनाव और परेशानियों का सामना करना पडता है।
उपाय:
(1) 24वें वर्ष में शादी न करें।
(2) अपनी माँ को हमेशा खुश रखें।
(3) लाभ कमाने के लिए कभी भी दूध या पानी न बेचें।
(4) खोया बनाने के लिए दूध को न जलाएं।
(5) सुनिश्चित कर लें कि आपकी पत्नी शादी में अपने मायके से अपने वजन के बराबर चांदी और चावल लाए।
चन्द्रमा अष्टम भाव में होने पर:-
यह भाव मंगल और शनि के अंतर्गत आता है। यहां पर स्थित चंद्रमा जातक की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। लेकिन यदि शिक्षा अच्छी है तो जातक की मां का जीवन छोटा होता है। लेकिन अक्सर यही देखने को मिलता है कि जातक शिक्षा और माँ को खो देता है। हालांकि, यदि बृहस्पति और शनि दूसरे भाव में हों तो सातवें घर में बैठे चंद्रमा का बुरा कम हो जाएगा। इस भाव में स्थित चन्द्रमा जातक को पैतृद सम्पत्ति से वंचित करता है। यदि जातक की पैतृक सम्पत्ति के पास कोई कुंआ या तालाब होता है तो जातक के जीवन में चंद्रमा के प्रतिकूल परिणाम देखने को मिलते हैं।
उपाय:
(1) जुआ और अनैतिकता से बचें।
(2) अपने पूर्वजों के लिए श्रद्धा समारोह आयोजित करें।
(3) कुएं को छत से ढकने के बादघर का निर्माण न करें।
(4) बुजुर्गों और बच्चों के पैर छूकर आशीर्वाद लें।
(5) श्मशान भूमि की सीमा के भीतर स्थित नल या कुंए से पानी लाएं और अपने घर के भीतर रखें। यह सप्तम भाव में स्थित चंद्रमा की सभी बुराइयों दूर करता है।
(6) पूजा स्थल में चना और दाल दान करें।
चन्द्रमा नवम भाव में होने पर:-
नौवां घर बृहस्पति, से सम्बंधित होता है जो चंद्रमा का परममित्र है। इसलिए जातक इन दोनों ग्रहों के लक्षण और सुविधाओं को आत्मसात करता है साथ ही अच्छे आचरण, कोमक हृदय, मन से धार्मिक, और धार्मिक कृत्यों तथा तीर्थयात्राओं से प्रेम करने वाला होता है। वह 75 वर्षों तक जीवित रहता है। पाचवें घर में स्थित शुभ ग्रह संतान सुख में वृद्धि और धार्मिक कामों में गहन रुचि विकसित करता है। तीसरे भाव में स्थित मित्र ग्रह पैसे और धन में काफी वृद्धि करता है।
उपाय:
(1) घर में चंद्रमा से संबंधित चीजें रखें। जैसे अलमारी में चांदी का एक चौकोर टुकड़ा रखें।
(2) मजदूरों को दूध परोसें।
(3) साँप को दूध पिलाएं और मछली के लिए चावल डालें।
चन्द्रमा दशम भाव में होने पर:-
दसवां घर हर तरीके में शनि द्वारा शासित है। यह घर चौथे घर के द्वारा देखा जाता है, जो चंद्रमा द्वारा शासित होता है। इसलिए इस घर में स्थित चंद्रमा जातक को 90 साल की लंबी आयु सुनिश्चित करता है। चंद्रमा और शनि आपस में शत्रु हैं इसलिए, तरल रूप में दवाओं का सेवन जातक को हमेशा हानिकारक साबित होंगी। रात में दूध का सेवन जहर के समान कार्य करता है। यदि जातक चिकित्सक है तो उसके द्वारा रोगी को दी जाने वाली दवाएं यदि शुष्क हों तो मरीज पर इलाज का जादुई प्रभाव पड़ेगा। यदि जातक सर्जन है तो वह सर्जरी के माध्यम से वह महान धन और प्रसिद्धि अर्जित करेगा। यदि दूसरा और चौथा भाव खाली हो तो जातक पर पैसों की बरसात होगी। यदि शनि पहले भाव में स्थित हो तो विपरीत लिंगी के कारण जातक का विनाश हो जाता है, विशेषकर विधवा जातक के विनाश का कारण बनती है। शनि से संबंधित वस्तुएं और व्यवसाय जातक के लिए फायदेमंद साबित होगा।
उपाय:
(1) धार्मिक स्थानों की यात्रा भाग्य वृद्धि में सहायक होगी।
(2) बारिस अथवा नदी का प्राकृतिक जल किसी कंटेनर (कनस्तर) में भर कर अपने घर के भीतर 15 साल तक रखें। यह दसम भाव में स्थित चंद्रमा के विषाक्त और बुरे प्रभाव को धो देगा।
(3) रात में दूध न पिएं।
(4) दुधारू पशु न तो आपके घर में लंबे समय तक रह पाएंगे और न ही वो आपके लिए फायदेमंद और शुभ साबित होंगे।
(5) शराब, मांस, और व्यभिचार से बचें।
चन्द्रमा एकादश भाव में होने पर:-
यह घर बृहस्पति और शनि से पूरी तरह प्रभावित होता है। इस घर में स्थित हर ग्रह अपने शत्रु ग्रहों और उनके साथ जुडी बातों को नष्ट कर देता है। इस प्रकार यहां स्थित चंद्रमा अपने शत्रु केतू की चीजों को नष्ट कर देता है जैसे जातक के बेटे आदि को। यहां चंद्रमा को अपने शत्रुओं शनि और केतू की संयुक्त शक्ति का सामना करना पडता है, जिससे चंद्रमा कमजोर होता है। ऐसे में यदि केतू चौथे भाव में स्थित है तो जातक की मां का जीवन खतरे में पडेगा। बुध से जुडे व्यापार भी हानिप्रद साबित होंगे। शनिवार के दिन से घर का निर्माण या घर की खरीदी चंद्रमा के शत्रु को बलवान बनाते हैं जो जातक के लिए विनाशकारी साबित होगा। आधी रात के बाद कन्यादान और शुक्रवार के दिन किसी भी शादी समारोह में शामिल होना जातक के भाग्य को नुकसान पहुंचाएगा।
उपाय:
(1) भैरव मंदिर में दूध बांटे और दूसरों को उदारतापूर्वक दूध का दान करें।
(2) सुनिश्चित करें कि दादी अपने पोते को न देखने पाए।
(3) दूध पीने से पहले सोने के एक टुकड़े को आग में गरम करें और दूध के गिलास में डालकर बुझाएं, इसके बाद दूध पिएं।
(4) 125 पीस पेड़े (मिठाइयां) नदी में बहाएं।
चन्द्रमा द्वादश भाव में होने पर:-
यह घर चंद्रमा के मित्र बृहस्पति का है। यहाँ स्थित चंद्रमा मंगल और मंगल से संबंधित चीजों परर अच्छा प्रभाव डालता है, लेकिन यह अपने दुश्मन बुध और केतु तथा उनसे संबंधित चीजों को नुकसान पहुंचाएगा। इसलिए मं गल जिस भाव में बैठा है उससे जुडा व्यापार और चीजें जातक के लिए अत्यधिक लाभकारी रहेंगी। ठीक इसी तरह बुध और केतू जिस घर में बैठे हैं उससे जुडा व्यापार और चीजें जातक के लिए अत्यधिक हानिकारक रहेंगी। बारहवें घर में स्थित चंद्रमा जातक के मन में अप्रत्याशित मुसीबतों और खतरों को लेकर एक साधारण सा डर पैदा करता है। जिससे जातक की नींद और मानसिक शांति भंग होती है। यदि चौथे भाव में स्थित केतू कमजोर और पीडित हो तो जातक के पुत्र और मां पर प्रतिकूल असर पडता है।
उपाय:
(1) कान में सोना पहनें। दूध में सोना बुझाकर दूध पियें। धार्मिक स्थलों की यात्रा करें। ये उपाय न केवल 12वें भाव के चन्द्र के दुष्प्रभाव को दूर करते बल्कि चौथे भाव के केतू के दुष्प्रभाव को भी दूर करते हैं।
(2) धार्मिक साधु-संतों को कभी भी दूध और भोजन न दें।
(3) स्कूल, कॉलेज या अन्य कोई शैक्षणिक संस्थान न खोलें और निःशुल्क शिक्षा पाने वाले बच्चों की मदद न करें।
लाल किताब और मंगल दोष निवारण उपाय
मंगल प्रथम भाव में होने परः-
पहले घर में स्थित मंगल ग्रह जातक को उम्र के 28 वर्ष से अच्छे स्वभाव वाला, सच्चा और अमीर बनाता है। उसे सरकार से सहयोग मिलता है और वह अधिक प्रयास के बिना दुश्मनों पर जीत हासिल करता है। जातक शनि से संबंधित व्यवसायों जैसे लोहा, लकडी और मशीनरी आदि के माध्यम से खूब धनार्जन करता है और शनि से संबंधित रिश्तेदार जैसे, भतीजे, पोते, मामा/चाचा आदि के लिए ऐसे जातक से मिला सहज श्राप कभी बेकार नहीं जाता। शनि और मंगल की युति जातक को शारीरिक कष्ट देती है।
उपाय:
(1) मुफ्त के उपहार या दान स्वीकार नहीं करना चाहिए।
(2) बुरे कामों और झूठ से बचें।
(3) संतों और फकीरों की संगति बहुत हानिकारक साबित होगी,अत: उनसे बचें।
(4) हाथीदांत की चीजें बहुत प्रतिकूल प्रभाव देंगी, अतः उनसे बचाव करें।
मंगल द्वितीय भाव में होने परः-
दूसरे भाव में स्थित मंगल वाला जाता आमतौर पर अपने माता पिता की बडी संतान होता है अन्यथा उसके साथ बडे के जैसे बर्ताव किया जाएगा। लेकिन रहने एक छोटे भाई की तरह रहना और बर्ताव करना जातक के बहुत फायदेमंद और कई बुराइयों को अपने आप नष्ट करता है। इस घर का मंगल जातक को ससुराल से बहुत धन-संपदा दिलवाता है। यहां पर स्थित अशुभ मंगल ग्रह जातक को इंशान के रूप में दूसरों के लिए साँप सदृश बनाता है और यह स्थिति किसी युद्ध या झगड़े में जात्क की मृत्यु का कारण बनता है। दूसरे घर में बुध के साथ स्थित मंगल जातक की इच्छा शक्ति को कमजोर और उसके महत्त्व को कमजोर करने वाला बनाता है।
उपाय:
(1) चंद्रमा से जुडे व्यवसाय जैसे कपड़े का व्यापार आदि करने से चंद्रमा मजबूत होता है जिससे जातक को ऐसे व्यापार में बडी समृद्धि मिलती है।
(2) सुनिश्चित करें कि आपके ससुराल वाले आम लोगों के लिए पीने के पानी की सुविधा और व्यवस्था करें।
(3) घर में हिरण त्वचा रखें।
मंगल तृतीय भाव में होने पर:-
तीसरा भाव मंगल और बुध से प्रभावित भाव होता है, जो जातक को भाइयों और बहनों की प्राप्ति करवाता है। वह अपने माता-पिता की अकेली संतान नहीं होगा। दूसरो को जातक से खूब लाभ मिलेगा लेकिन स्वयं जातक को दूसरों से लाभ नहीं मिलेगा। अपनी विनम्रता के कारण जातक लाभान्वित और पुरस्कृत होगा। जातक की शादी के बाद जातक के ससुराल वाले अमीर और अमीर होते जाएंगे। जातक खाओं पियो और मस्त रहो के सिद्धांत में विश्वास करेगा लेकिन रक्त विकारों से ग्रस्त रहेगा।
उपाय:
(1) नरम दिल बनें और अहंकार से बचें। समृद्धि प्राप्ति के लिए भाइयों के लिए अच्छे बनें।
(2) आप के साथ हाथीदांत की वस्तुएं रखें।
(3) बाएं हाथ में चांदी की अंगूठी पर पहनें।
मंगल चतुर्थ भाव में हो तो:-
चौथा घर समग्र चंद्रमा की संपत्ति है। इस घर में मंगल ग्रह की आग और गर्मी चंद्रमा के ठंडे पानी को जला देती है। चंद्रमा के गुण प्रतिकूल प्रभावी हो जाते हैं। जातक अपने मन की शांति खो देता है और दूसरों से ईर्ष्या करने लगता है। वह हमेशा अपने छोटे भाई के साथ बुरा बर्ताव करता है। जातक की बुरी योजना बहुत बडी विनाशकारी शक्तियां प्राप्त कर लेती है। इस प्रकार का जातक अपनी माँ, पत्नी, सास आदि के जीवन के लिए बहुत प्रतिकूल प्रभावी होता है। जातक का गुस्सा उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं के विनाश का कारण बन जाता है।
उपाय:
(1) किसी बरगद के पेड़ की जड़ों पर मीठा दूध चढाएं और वहां की गीली मिट्टी को अपनी नाभि पर लगाएं।
(2) आग से तबाही से बचने के लिए, अपने घर, दुकान या कारखाने की छत पर चीनी की खाली बैग (बोरे) रखें।
(3) हमेशा आपने साथ चांदी का एक चौकोर टुकड़ा रखें।
(4) काले, काने और विकलांग व्यक्ति से दूर रहें।
मंगल पंचम भाव में होने पर:-
पांचवां घर मंगल के नैसर्गिक मित्र सूर्य का घर होता है। इसलिए इस घर में मंगल बहुत अच्छे परिणाम देता है। जातक के पुत्र उसकी प्रसिद्धि और धनार्जन के माध्यम बनते हैं। जातक की समृधि पुत्र प्राप्ति के बाद कई गुना बढ़ जाती है। शुक्र और चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं और रिश्तेदार को हर तरीके से फायदेमंद साबित होंगे। जातक के पूर्वजों में से कोई चिकित्सक या वैद्य रहा होगा। जातक की उम्र के साथ उसकी समृधि भी बढती जाती है। लेकिन विपरीत लिंगी के साथ भावनात्मक लगाव और रोमांस जातक के लिए अत्यधिक विनाशकारी साबित होंगे और जातक की मानसिक शांति और रातों की नीद खराब करने के कारण बनेंगे।
उपाय:
(1) अपना नैतिक चरित्र अच्छा बनाए रखें।
(2) रात को अपने बिस्तर के सिरहने एक बर्तन में पानी रखें और सुबह उसे किसी गमले में डाल दें।
(3) अपने पूर्वजों की श्राद्ध करें और घर में एक नीम के पेड़ लगाएं।
मंगल शष्टम भाव में होने पर:-
यह भाव बुध और केतू का होता है। दोनो आपस में शत्रु है और मंगल के लिए हानिकारक हैं। इस लिए इस भाव में सूर्य अपने आपको इन दोनो ग्रहों से दूर रखता है। इसलिए जातक साहसी, जोखिम उठाने वाला न्यायप्रिय और पानी में आग लगाने के लिए पर्याप्त शक्ति रखने वाला होता है। बुध से संबंधित व्यापार-व्यवसाय जातक के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होंगे। उसकी कलम में तलवार से ज्यादा ताकत होगी। यदि सूर्य, शनि और मंगल इसी घर में साथ हैं तो जातक के भाई, मां, बहन और पत्नी पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा।
उपाय:
(1) बेटे के जन्म के समय मिठाई की जगह पर नमक बांटें।
(2) जातक के भाइयों को चाहिए कि अपनी सुरक्षा और समृद्धि के लिए वो जातक को खुश रखें और इसके लिए वो जातक को कोई वस्तु या और कुछ देते रहें। लेकिन यदि जातक ऐसी चीजें स्वीकार नहीं करता तो वो चीजें पानी में फेंक देनी चाहिए।
(3) जातक के लड़कों को सोना नहीं पहनना चाहिए।
(4) परिवारिक सुख के लिए शनि के उपाय अपनाएं। माता पिता के स्वास्थ्य और दुश्मनों के विनाश के लिए गणेश जी की पूजा करें।
मंगल सप्तम भाव में होने पर:-
यदि घर में शुक्र और बुध, के प्रभाव के अंतर्गत आता है जो कि आपस में मिलकर सूर्य का फल देते हैं। यदि मंगल सातवें भाव में है तो सातवां भाव मंगल और सूर्य के प्रभाव के अंतरगत आएगा जो यह सुनिश्चित करता की जातक की महत्वाकांक्षा पूरी हो जाएगी। धन संपत्ति, और परिवार में वृद्धि होगी। लेकिन अगर बुध भी मंगल ग्रह के साथ स्थित है तो बुध से संबंधित बातों और रिश्तों जैसे, बहन, भाभी, नर्सों, नौकरानी, तोता, बकरी आदि प्रतिकूल प्रभावी होंगी अत: इनसे दूर रहना बेहतर होगा।
उपाय:
(1) समृद्धि के लिए घर में चांदी का ठोस टुकड़ा रखें।
(2) हमेशा बेटी, बहन, भाभी और विधवाओं को मिठाई भेंट करें।
(3) बार बार एक छोटी सी दीवार बनाएं और गिराएं।
मंगल अष्टम भाव में होने पर:-
यह घर मंगल और शनि, के संयुक्त गुणों से प्रभावित होता है। इस घर में कोई ग्रह अच्छा नहीं माना जाता है। यहां स्थित मंगल ग्रह जातक के छोटे भाई पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। लाभ या हानि की परवाह किए बिना जातक अपने द्वारा बनाई गई प्रतिबद्धताओं से चिपका रहता है।
उपाय:
(1) विधवाओं का आशीर्वाद प्राप्त करें और गले में एक चांदी की चेन पहनें।
(2) तंदूर की बनी मीठी रोटी कुत्तों को दें।
(3) भोजन रसोई घर में ही करें।
(4) अपने घर के अत में एक छोटा से अंधेरा कमरा बनाएँ और उसमें सूर्य की रोशनी न आने दें।
(5) धार्मिक स्थानों में चावल, गुड़ और चने की दाल भेंट करें।
(6) किसी मिट्टी के बर्तन में ‘देशी खांड’ भरें और श्मशान भूमि के पास दफनाएं।
मंगल नवम भाव में होने पर:-
यह घर मंगल ग्रह के मित्र बृहस्पति का है। इस भाव में स्थित मंगल ग्रह बडों का आशिर्वाद और मदद दिलाकर जातक के लिए हर ढंग से अच्छा साबित होगा। जातक के भाइयों की पत्नियां जातक के लिए भाग्यशाली रहेंगी। सामान्यत: उसके अपने पिता की तरह कई भाई होंगे। भाइयों के साथ एक संयुक्त परिवार में रहने पर जातद के सुख में हर ओर से वृद्धि होगी। जातक अपनी उम्र के 28 वें वर्ष तक एक अत्यंत प्रतिष्ठित प्रशासनिक पद प्राप्त कर लेगा। जातक युद्ध से जुड़े सामान के व्यापार में भारी मुनाफा कमा सकता है।
उपाय:
(1) अपने बड़े भाई की आज्ञा मानें।
(2) अपनी भाभी यानी भाई की पत्नी की सेवा करें।
(3) नास्तिक न बनें और अपने पारंपरिक और धार्मिक रीति – रिवाजों का पालन करें।
(4) धार्मिक और पूजा स्थलों पर चावल, दूध और गुड़ चढ़ाएं।
मंगल दशम भाव में होने पर:-
कुंडली में यह मंगल ग्रह की सबसे अच्छी स्थिति है, यह मंगल की उच्च की जगह है। यदि जातक किसी गरीब परिवार में पैदा हुआ है तो उसके जन्म के बाद उसका परिवार अमीर और संपन्न हो जाएगा। यदि वह किसी अमीर परिवार में पैदा हुआ है, तो उसके जन्म के बाद उसका परिवार अमीर और अमीर होता जाएगा। यदि जातक अपने भाइयों में सबसे बडा है तो वह समाज में एक अतिविशिष्ट होगा और खूब मान प्रतिष्ठा हासिल करेगा। जातक निर्भीक, साहसी, स्वस्थ और समाज में परंपराओं, मानदंडों और नियमों को निर्धारित करनें में पर्याप्त सक्षम होगा। हालांकि, यदि दूसरे भाव में राहु, केतु और शनि या शुक्र और चंद्रमा जैसे हनिकर ग्रह हों तो पूर्वोक्त लाभकारी प्रभाव कम हो जाते हैं। इसके अलावा यदि तीसरे भाव में कोई मित्र ग्रह भी स्थित है तो भी दसवें घर में स्थित मंगल ग्रह के परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। यदि शनि तीसरे घर में स्थित है तो जातक अपने जीवन के अंतिम भाग में खूब धन और बहुत सारी जमीन जायदाद प्राप्त करेगा। साथ ही वह एक राजसी पद भी प्राप्त करेगा। मंगल दसम में हो और पांचवें घर में कोई भी ग्रह न हो तो चारों तरफ से समॄद्धि और खुशियां आती हैं।
उपाय:
(1) पैतृक संपत्ति और घर का सोना न बेचें।
(2) घर में हिरण पालें।
(3) दूध उबालते समय इस बात का खयाल रखें कि दूध उफन कर आग पर न गिरने पाए।
(4) काने और निःसंतान व्यक्तियों की मदद करें।
मंगल एकादश भाव में होने पर:-
क्योकि यह घर बृहस्पति और शनि ग्रह से प्रभावी होता है इसलिए इस घर में मंगल अच्छे परिणाम देता है। यदि बृहस्पति उच्च का हो तो मंगल बहुत अच्छे परिणाम देता है। जातक साहसी और आम तौर पर व्यापारी होता है।
उपाय:
(1) पैतृक संपत्ति कभी भी न बेचें।
(2) किसी मिट्टी के बर्तन में शहद या सिंदूर रखना अच्छे परिणाम देगा।
मंगल द्वादश भाव में होने पर:-
यह घर बृहस्पति से प्रभावित घर होता है। इसलिए यहां पर मंगल और और बृहस्पति दोनों के अच्छे परिणाम मिलते हैं। यह राहू का पक्का घर भी कहा गया है इसलिए मंगल के यहां स्थित होने के कारण राहू का दुष्प्रभाव भी नहीं मिलता।
उपाय:
(1) सुबह खाली पेट शहद का सेवन करें।
(2) मिठाई खाना और दूसरों को भी देने से जातक के धन की बृद्धि होती है।
लाल किताब और बुध दोष निवारण उपाय
बुध प्रथम भाव में होने परः-
पहले घर में स्थित बुध जातक को दयालु, विनोदी और प्रशासनिक कौशल के साथ राजनयिक बनाता है। आमतौर पर ऐसा लम्बे समय तक जीता है, स्वार्थी हो जाता है तथा स्वभाव से नटखट होकर, मांशाहार और मदिरा पान की ओर आकृष्ट हो जाता है। जातक को सरकार से मदद मिलती है और उसकी बेटियां राजसी जीवन जीती हैं। जिस भाव में सूर्य बैठा है उस भाव से संबंधित रिश्तेदार बहुत कम समय में खूब पैसा कमा कर धनवान बन जाते हैं। स्वयं जातक के पास भी आमदनी के कई स्रोत होते हैं। यदि सूर्य बुध के साथ पहले भाव में हो अथवा बुध सूर्य के द्वारा देखा जाता हो तो जातक की पत्नी किसी अमीर और कुलीन परिवार से आएगी और अच्छे स्वभाव वाली होगी। ऐसा जातक मंगल से दुष्प्रभावी हो सकता है लेकिन इसे सूर्य से बुरे परिणाम नहीं मिलेंगे। राहु और केतु बुरे प्रभावी होंगे जो जातक के वंशजों और ससुराल वालों के लिए हानिकारक होंगे। पहले घर में स्थित बुध के कारण जातक दूसरों को प्रभावित करने की कला में माहिर होगा और वह किसी राजा की तरह जिएगा। पहले घर में बुध नीच का हो और चंद्रमा सातवें घर में हो तो जातक नशे के कारण अपना विनाश कर लेता है।
उपाय:
(1) हरे रंग और शालियों से यथासंभव दूर रहें।
(2) अंडा, मांस और मदिरा का सेवन न करें।
(3) घूम फिर कर करने वाले व्यापार से एक ही स्थान पर बैठ कर करने वाला व्यापार अच्छा और फायदेमंद रहेगा।
बुध द्वितीय भाव में होने परः-
दूसरे भाव में स्थित बुध जातक को बुद्धिमान, आत्मकेन्द्रित, दुश्मनों का विनाशक और धोखेबाज बनाता है। वह अपने पिता को पर्याप्त सुख देने में सक्षम होगा। वह धनवान होगा। मंगल और शुक्र से संबंधित चीजें फायदेमंद रहेंगी।
(1) अंडे, मांस और शराब से बचें।
(2) शालियों से संबंध हानिकारक होंगे।
(3) भेड़, बकरी, और तोता पालना सख्त वर्जित है।
बुध तृतीय भाव में होने पर:-
तीसरे घर में बुध अच्छा नहीं माना जाता। बुध ग्रह, मंगल ग्रह शत्रु है लेकिन मंगल ग्रह बुध से शत्रुता नहीं मानता। इसलिए जातक अपने भाई से लाभ प्राप्त करते हैं, लेकिन वह अपने भाई या दूसरों के लिए फायदेमंद नहीं होगा। इसके नौवें तथा ग्यारहवें घर में दृष्टि प्रभाव के कारण जातक की आय और पिता की हालत पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
उपाय:
(1) हर रोज फिटकिरी से अपने दाँत साफ करें।
(2) पक्षियों की सेवा करें और एक बकरी दान करें।
(3) दक्षिण्मुखी घर में न रहें।
(4) अस्थमा की दवाएं वितरित करें।
बुध चतुर्थ भाव में हो तो:-
चौथे घर में बुध वाला जातक भाग्यशाली माना जाता है, अपनी माँ का दुलारा, अच्छा व्यापारी और सरकार से लाभ पाने वाला होता है। हालांकि इस घर में बुध जातक की आय और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
उपाय:
(1) मानसिक शांति के लिए चांदी की चेन पहने और धन-संपत्ति पाने के लिए सोने की चेन पहनें।
(2) माथे पर 43 दिनों के लिए नियमित रूप से केसर का तिलक लागाएं।
(3) बंदरों को गुड खिलाएं और उनकी सेवा करें।
बुध पंचम भाव में होने पर:-
इस घर में बुध जातक को खुश, अमीर और बुद्धिमान बनाता है। जातक के मुह से अचानक निकली बातें सच हो जाया करेंगी। यह स्थिति और भी बेहतर होगी यदि चंद्रमा या कोई पुरुष ग्रह तीसरे, पांचवें, नौवें या ग्यारहवें घर में स्थित हो। लेकिन यदि चंद्रमा और बृहस्पति अच्छे भावों में न हों तो बुध हानिकारक हो जाता है।
उपाय:
(1) धन प्राप्त करने के लिए सफेद धागे में तांबे का एक सिक्का पहनें।
(2) पत्नी की प्रसन्न्ता और अच्छी किस्मत लिए गायों की सेवा करें।
(3) गोमुखी घर (सामने संकीर्ण और अंत में व्यापक) अत्यधिक शुभ साबित होगा जबकि शेरमुखी घर (सामने व्यापक और अंत में संकरा) अत्यधिक विनाशकारी साबित होगा।
बुध शष्टम भाव में होने पर:-
छठवें घर में बुध उच्च का होता है। जातक आत्मनिर्भर और कृषि भूमि, स्टेशनरी, प्रिंटिंग प्रेस और व्यापार से लाभ प्राप्त करने वाला होता है। उसके मुंह से निकलने वाले शब्द चाहे अच्छे हों या बुरे, कभी भी बेकार नहीं जाते। उत्तर दिशा की ओर मुंह वाला घर बुरे प्रभाव देगा। उत्तर दिशा में बेटी की शादी करने से जातक को हर तरह से दु:ख मिलेगा।
उपाय:
(1) कृषि भूमि में गंगा जल से भरा बोतल दफनाएं।
(2) अपनी पत्नी के बाएं हाथ में चांदी की एक अंगूठी पहनांए।
(3) किसी भी महत्वपूर्ण काम की शुरुआत किसी कन्या या बेटियों की उपस्थिति में करें अथवा हाँथ में फूल लेकर करना शुभ रहेगा।
बुध सप्तम भाव में होने पर:-
पुरुष कुंडली में सातवें घर में स्थित बुध जातक के शुभचिंतकों के लिए शुभ परिणाम देता है। स्त्री जातक की कुण्डली में भी यह अच्छा परिणाम देता है। जातक की कलम में तलवार से ज्यादा ताकत होगी। जातक की शाली हर लिहाज़ से सहयोगी सिद्ध होगी। यदि चन्द्रमा पहले भाव में स्थित हो तो विदेश यात्रा लाभकारी रहेगी। तीसरे भाव में स्थित शनि ससुराल वालों को अमीर बनाता है।
उपाय:
(1) साझेदारी के व्यापार से बचें।
(2) सट्टेबाजी से बचें।
(3) खराब चरित्र वाली साली से सम्बन्ध न रखें।
बुध अष्टम भाव में होने पर:-
आठवें घर में स्थित बुध बहुत बुरे प्रभाव देता है। लेकिन यदि इसके साथ कोई पुरुष ग्रह बैठा तो बुध अपने साथ बैठे ग्रह के फलों को और अच्छा करेगा।जातक एक कठिन जीवन जीता है, रोगों से पीड़ित रहता है और 32 से 34 साल उम्र के दौरान उसकी आमदनी आधी हो जाती है। यदि दूसरे भाव में कोई ग्रह हों तो परिणाम और अधिक हानिकारक होते हैं। यदि राहु भी इसी घर में हो तो जातक को जेल जाना पड सकता है, अस्पताल में भर्ती होना पड सकता है या जगह जगह भटकना पड सकता है। परिणाम और भी बुरा होता है यदि मंगल भी यहीं बैठा हो। यहां का बुध सरकारी विवाद पैदा करवाता है। साथ ही रक्त विकार, नेत्र विकार, दांत और नस में दर्द साथ की साथ व्यापार में भारी नुकसान देता है।
उपाय:
(1) किसी मिट्टी के बर्तन में शहद भरकर यह श्मशान या सुनसान क्षेत्र में दफनाएँ।
(2) किसी कंटेनर में दूध अथवा बारिश का पानी भरकर घर की छत पर रखें।
(3) अपनी बेटी की नाक में बाली पहनाएं।
बुध नवम भाव में होने पर:-
नौवें घर में भी बुध बहुत बुरा प्रभाव देता है क्योकि यह बृहस्पति का घर होता है और बुध उसका शत्रु ग्रह है। यह लगातार मानसिक बेचैनी और विभिन्न प्रकार की मानहानि का कारण बनता है। यदि चंद्रमा केतु, और बृहस्पति 1, 3, 6, 7, 9 और 11 घरों में हों तो, बुध अधिक फायदेमंद परिणाम नहीं देता।
उपाय:
(1) हरे रंग के प्रयोग से बचें।
(2) अपनी नाक छिदवायें।
(3) किसी मिट्टी के बर्तन में मशरूम भरकर धार्मिक जगह दान करें।
(4) किसी साधु या फ़कीर से कोई ताबीज़ न लें।
बुध दशम भाव में होने पर:-
दसम भाव का बृहस्पति सरकार की ओर से सहयोग प्रदान करता है। आजीविका के अच्छे साधन देता है। जातक को अपना काम हर तरह से करना आता है। किसी शेरमुखी घर में व्यापार करना जातक के लिए अच्छा रहेगा लेकिन ऐसे घर में निवास करना विनाशकारी होगा।
उपाय:
1) शराब, मांस, अंडे और बहुत अधिक भोजन खाने से बचें।
(2) चावल और दूध धार्मिक स्थानों में दान करें।
बुध एकादश भाव में होने पर:-
बुध इस घर में बुरा परिणाम देता है क्योंकि यह घर बृहस्पति का है और इनकी आपस में शत्रुता है। 34 की उम्र में जातक कोई बहुत बडा मूर्खता का काम करता है। यहां बुध धन की हानि, मानसिक शांति की हानि और प्रतिष्ठा के नुकसान का कारण बनता है। यहां तक कि जातक की कड़ी मेहनत को भी सम्मानित नहीं किया जाता। लेकिन जातक के बच्चे अच्छी तरह से शिक्षित होते हैं और उनका विवाह बहुत अमीर और कुलीन परिवारों में होता है।
उपाय:
(1) गर्दन में किसी सफेद धागे या चांदी की चेन में तांबे का गोल सिक्का पहनें।
(2) अपने घर में विधवा बहन या बुआ को न रखें।
(3) हरे रंग और पन्ना रत्न से बचें।
(4) साधु या फ़कीर की दी हुई ताबीज़ न लें।
बुध द्वादश भाव में होने पर:-
यहां पर स्थित बुध जातक की रातों की नीद खराब करता है और कई तरह की परेशानियों का कारण बनता है। जातक मन की शांति खो देता है और अक्सर सिर दर्द से पीड़ित रहता है। जातक दीर्घायु होता है लेकिन बीमार रहता है। लेकिन यदि बुध इस घर में शनि के साथ हो तो बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं। इस भाव में शनि, सूर्य और बुध साथ होने पर भी अच्छे परिणाम मिलते हैं। यदि जातक की बेटियां, बहन, बुआ और भतीजी जातक के साथ उसके घर में रहती हैं तो दुखी रहती हैं। ऐसा जातक आम तौर पर आत्म प्रशंसक और चिड़चिडे स्वभाव का होता है। यदि उसके दिमाग में सही या गलत कोई भी बात घर कर गई है तो वह उसी को हर तरह से सही मानेगा। यदि ऐसा जातक शराब पीने लगता है तो वह घमंडी हो जाता है। व्यापारिक जुआ या सट्टेबाजी जातक के लिए हानिकारक साबित होगी। 25 वें वर्ष में विवाह जातक की पत्नी और पिता के लिए हानिकारक साबित होगा।
उपाय:
(1) नदी में एक नया खाली घड़ा फेंकें।
(2) स्टेनलेस स्टील की एक अंगूठी पहनें।
(3) केसर का तिलक लगाएं और धार्मिक स्थानों पर जाएँ।
(4) किसी भी नए या महत्वपूर्ण काम को शुरू करने से पहले किसी अन्य व्यक्ति की सलाह लें।
लाल किताब और गुरु दोष निवारण उपाय
गुरु प्रथम भाव में होने परः-
पहले घर में स्थित बृहस्पति निश्चय ही जातक को अमीर बनाता है, भले ही वह सीखने और शिक्षा से वंचित हो। जातक स्वस्थ और दुश्मनों निर्भीक रहने वाल होगा। जातक अपने स्वयं के प्रयासों, मित्रों की मदद और सरकारी सहयोग से हर आठवें साल में बडी तरक्की पाएगा। यदि सातवें भाव में कोई ग्रह न हो तो विवाह के बाद सफलता और समृद्धि मिलती है। विवाह या अपनी कमाई से चौबीसवें या सत्ताइसवें साल में घर बनवाना जातक की पिता की उम्र के लिए ठीक नहीं होगा। बृहस्पति पहले भाव में हो और शनि नौवें भाव में हो तो जातक को स्वाथ्य से संबंधित परेशानियां होती हैं। बृहस्पति पहले भाव में हो और राहू आठवें भाव में हो तो जातक के पिता की मृत्यु दिल के दौरे या अस्थमा के कारण होती है।
उपाय:
(1) बुध, शुक्र और शनि से सम्बंधित वस्तुएं धार्मिक स्थानों में बांटे।
(2) गायों की सेवा करें और अछूतों की मदद करें।
(3) यदि शनि पांचवे भाव में हो तो घर का निर्माण न करें।
(4) यदि शनि नवमें भाव में हो तो शनि से सम्बंधित चीजें जैसे मशीनरी आदि न खरीदें।
(5) यदि शनि ग्यारहवें या बारहवें भाव में हो तो, शराब, मांस और अंडे का प्रयोग बिलकुल न करें।
(6) नाक में चांदी पहनने से बुध का दुष्प्रभाव दूर होता है।
गुरु द्वितीय भाव में होने परः-
इस घर के परिणाम बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित होते हैं भले ही शुक्र कुण्डली में कहीं भी बैठा हो। शुक्र और बृहस्पति एक दूसरे के शत्रु हैं। इसलिए दोनों एक दूसरे पर प्रतिकूल असर डालते हैं। नतीजतन, यदि जातक सोने के या आभूषणों के व्यापार में संलग्न होता है, तो शुक्र से संबंधित चीजें जैसे पत्नी, धन और संपत्ति आदि नष्ट हो जाएगी। यदि जातक की पत्नी भी उसके साथ है तो जातक सम्मान और धन कमाता जाएगा बावजूद इसके उसकी पत्नी और परिवार के लोग स्वास्थ्य समस्या या अन्य परेशानियों से ग्रस्त रहेंगे। जातक महिलाओं में प्रशंसनीय होगा और अपने पिता की संपत्ति विरासत में प्राप्त करेगा। यदि 2, 6 और 8वां घर शुभ हैं और शनि दसवें घर में नहीं है तो जातक लॉटरी या किसी नि:संतान से सम्पत्ति अर्जित करेगा।
उपाय:
(1) दान-दक्षिणा देने से समृद्धि बढ़ेगी।
(2) दशम भाव में स्थित शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए सांपों को दूध पिलायें।
(3) यदि आपके घर के सामने की सड़क में कोई गड्ढा है तो उसे भर दें।
गुरु तृतीय भाव में होने पर:-
तीसरे भाव का बृहस्पति जातक को समझदार और अमीर बनाता है, जातक अपने पूरे जीवन काल में सरकार से निरंतर आय प्राप्त करता रहेगा। नवम भाव में स्थित शनि जातक को दीर्घायु बनाता है। यदि शनि दूसरे भाव में हो तो जातक बहुत चतुर और चालाक होता है। चतुर्थ भाव में स्थित शनि यह इशारा करता है कि जातक का पैसा और धन उसके अपने दोस्तों के द्वारा लूट लिया जाएगा। यदि बृहस्पति तीसरे भाव में किसी पापी ग्रह से पीडित है तो जातक अपने किसी करीबी के कारण बरबाद हो जाएगा और कर्जदार हो जाएगा।
उपाय:
(1) देवी दुर्गा की पूजा करें और कन्याओं अर्थात छोटी लड़कियों को मिठाई और फल देते हुए उनके पैर छू कर उनका आशीर्वाद लें।
(2) चापलूसों से दूर रहें।
गुरु चतुर्थ भाव में हो तो:-
चौथा घर बृहस्पति के मित्र चंद्रमा का है। बृहस्पति इस घर में उच्च का होता है। इसलिए बृहस्पति यहाँ बहुत अच्छे परिणाम देता है और जातक को दूसरों के भाग्य भविष्य तय करने की शक्तियां प्रदान करता है। जातक पैसा, धन, और बहुत सम्पत्ति के साथ साथ सरकार की ओर से सम्मान का अधिकारी होता है। जातक को संकट के समय में दैवीय सहायता प्राप्त होगी। जैसे-जैसे उसकी उम्र बढती जाएगी जातक समृद्धि और धन में भी वृद्धि होगी। लेकिन यदि जातक घर के भीतर मंदिर बनवा लेता है तो उपरोक्त परिणाम नहीं मिलेंगे साथ ही गरीबी और परेशानी पूर्ण वैवाहिक जीवन का सामना करना पड़ेगा।
उपाय:
(1) घर में मंदिर न बनायें।
(2) बड़ों की सेवा करें।
(3) सांप को दूध पिलायें।
(4) कभी भी नंगे बदन न रहें।
गुरु पंचम भाव में होने पर:-
यह घर बृहस्पति और सूर्य से संबंधित होता है। जातक के समृद्धि में वृद्धि पुत्र प्राप्ति के पश्चात होगी। वास्तव में जातक के जितने अधिक पुत्र होंगे वह उतना ही अधिक समृद्धशाली होगा। पांचवां घर सूर्य का अपना घर होता है और इस घर में सूर्य, केतू और बृहस्पति मिश्रित परिणाम देंगे। लेकिन यदि बुध, शुक्र और राहू दूसरे, नौवें, ग्यारहवें और बारहवें भाव में हों तो सूर्य, केतू और बृहस्पति खराब परिणाम देंगे। यदि जातक ईमानदार और श्रमसाध्य है तो बृहस्पति अच्छे परिणाम देगा।
उपाय:
(1) किसी भी तरह का दान या उपहार स्वीकार न करें।
(2) पुजारियों और साधुओं की सेवा करें।
गुरु शष्टम भाव में होने पर:-
छठवा घर बुध का होता है और केतु का भी इस घर पर प्रभाव माना गया है। इसलिए यह घर बुध, बृहस्पति और केतु का संयुक्त प्रभाव देगा। यदि बृहस्पति शुभ होगा तो जातक पवित्र स्वभाव का होगा। उसे बिना मांगे जीवन में सब कुछ मिल जाएगा। बड़ों के नाम पर दान-दक्षिणा उसके लिए फायदेमंद होगा। यदि बृहस्पति छठवें घर में हो और केतु शुभ हो तो जातक स्वार्थी हो जाएगा। हालांकि, यदि केतु छठवें घर में अशुभ है और बुध भी हानिकर है तो जातक उम्र के 34 साल तक दुर्भाग्यशाली रहेगा। यहाँ स्थित बृहस्पति जातक पिता के अस्थमा रोग का कारण बनता है।
उपाय:
(1) बृहस्पति से संबंधित वस्तुएं मन्दिर में भेंट करें।
(2) मुर्गों को दाना डालें।
(3) पुजारी को कपडे भेंट करें।
गुरु सप्तम भाव में होने पर:-
सातवां घर शुक्र का होता है, अत: यह मिश्रित परिणाम देगा। जातक का भाग्योदय शादी के बाद होगा और जातक धार्मिक कार्यों में शामिल होगा। घर के मामले में मिलने वाला अच्छा परिणाम चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करेगा। जातक देनदार नहीं हो सकता है लेकिन उसके अच्छे बच्चे होंगे। यदि सूर्य पहले भाव में हो तो जातक एक अच्छा ज्योतिषी और आराम पसंद होगा। लेकिन यदि बृहस्पति सातवें भाव में नीच का हो और शनि नौवें भाव में हो तो जातक चोर हो सकता है। यदि बुध नौवें भाव में हो तो जातक के वैवाहिक जीवन परेशानियों से भरा होगा। यदि बृहस्पति नीच का हो तो जातक को भाइयों से सहयोग नहीं मिलेगा साथ ही वह सरकार के समर्थन से भी वंचित रह जाएगा। सातवें घर में बृहस्पति पिता के साथ मतभेद का कारण बनता है। ऐसे में जातक को चाहिए कि वह कभी भी किसी को कपड़े दान न करे, अन्यथा वह बडी गरीबी की चपेट में आ जाएगा।
उपाय:
(1) भगवान शिव की पूजा करें।
(2) घर में किसी भी देवता की मूर्ति न रखें।
(3) हमेशा अपने साथ किसी पीले कपडे में बांध कर सोना रखें।
(4) पीले कपडे पहने हुए साधु और फ़कीरों से दूर रहें।
गुरु अष्टम भाव में होने पर:-
बृहस्पति इस घर में अच्छे परिणाम नहीं देता लेकिन जातक को सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। संकट के समय जातक को ईश्वर की सहायता मिलेगी। धार्मिक होने से जातक के भाग्य में वृद्धि होगी। यदि जातक सोना पहनता है तो दुखी या बीमार नहीं होगा। यदि बुध, शुक्र या राहू दूसरे, पांचवें, नौवें, ग्यारहवें या बारहवें भाव में हों तो जातक के पिता बीमार होंगे और स्वयं जातक को प्रतिष्ठा की हानि का सामना करना होगा।
उपाय:
(1) राहु से संबंधित चीजें जैसे गेहूं, जौ, नारियल आदि पानी में बहाएं।
(2) श्मशान में पीपल का पेड़ लगाएं।
(3) मंदिर में घी, आलू और कपूर दान करें।
गुरु नवम भाव में होने पर:-
नौवां घर बृहस्पति से विशेष रूप से प्रभावित होता है। इसलिए इस भाव वाला जातक प्रसिद्ध है, अमीर और एक अमीर परिवार में पैदा होगा। जातक अपनी जुबान का पाक्का और दीर्घायु होगा, उसके बच्चे बडे अच्छे होंगे। यदि बृहस्पति नीच का हो तो जातक में उपरोक्त गुण नहीं होंगे और वह नास्तिक होगा। यदि बृहस्पति का शत्रु ग्रह पहले, पांचवें या चौथे भाव में हो तो बृहस्पति बुरे परिणाम देगा।
उपाय:
(1) हर रोज मंदिर जाना चाहिए।
(2) शराब पीने से बचें।
(3) बहते पानी में चावल बहाएं।
गुरु दशम भाव में होने पर:-
यह भाव शनि का घर होता है। इसलिए जातक जब खुश होगा तो शनि के गुणों को आत्मसात करेगा। यदि जातक चालाक और धूर्त होगा तभी बृहस्पति के अच्छे परिणाम का आनंद ले पाएगा। यदि सूर्य चौथे भाव में बृहस्पति बहुत अच्छा परिणाम देगा। चौथे भाव के शुक्र और मंगल जातक के कई विवाह सुनिश्चित करते हैं। यदि 2, 4 और 6 भावों में मित्र ग्रह हों तो पैसों और आर्थिक मामलों में बृहस्पति अत्यधिक लाभकारी परिणाम प्रदान करता है। यदि दसम में स्थित बृहस्पति नीच का हो तो जातक उदास और गरीब होता है। वह पैतृक सम्पत्ति, पत्नी और बच्चों से वंचित रहता है।
उपाय:
(1) कोई भी काम शुरू करने से पहले अपनी नाक साफ करें।
(2) नदी के बहते पानी में 43 दिनों के लिए तांबे के सिक्के बहाएं।
(3) धार्मिक स्थानों में बादाम बाटें।
(4) घर के भीतर मंदिर बनाकर मूर्तियां स्थापित न करें।
(5) माथे पर केसर का तिलक लगाएं।
गुरु एकादश भाव में होने पर:-
इस घर में बृहस्पति अपने शत्रु ग्रहों बुध, शुक्र और राहु से सम्बंधित चीजों और रिश्तेदारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। नतीजतन, जातक की पत्नी दुखी रहेगी। इसी तरह, बहनें, बेटियां और बुआ भी दुखी रहेंगी। बुध सही स्थिति में तो भी जातक कर्जदार होता है। जातक तभी आराम से रह पाएगा जब वह पिता, भाइयों, बहनों और मां के साथ साथ एक संयुक्त परिवार में रहे।
उपाय:
(1) हमेशा अपने शरीर पर सोना पहनें।
(2) तांबे का कडा पहनें।
(3) पीपल के पेड़ में जल चढाएं।
गुरु द्वादश भाव में होने पर:-
बारहवा घर बृहस्पति और राहु के संयुक्त प्रभाव में होता है जो कि एक दूसरे के शत्रु होते हैं यदि जातक अच्छा आचरण करता है, धार्मिक प्रथाओं को मानता है और सभी के लिए अच्छा चाहता है तो वह खुशहाल होगा और रात में आरामदायक नींद का आनंद ले पाएगा। जातक अमीर और शक्तिशाली होगा। शनि के दुष्कर्मों से बचाव करने पर मशीनरी, मोटर, ट्रक और कार से सम्बंधित काम फायदेमंद रहेंगे।
उपाय:
(1) किसी भी मामले में झूठी गवाही से बचें।
(2) साधुओं, गुरुओं और पीपल के पेड़ की सेवा करें।
(3) रात में अपने बिस्तर के सिरहनें पानी और सौंफ रखें।
लाल किताब और शुक्र दोष निवारण उपाय
शुक्र प्रथम भाव में होने परः-
पहले घर का शुक्र जातक को अत्यधिक सुंदर, दीर्घायु, मॄदुभाषी, और विपरीत लिंगियो के बीच लोकप्रिय बनाता है। जातक की पत्नी बीमार रहती है। धर्म, जाति, पंथ जातक को किसी के साथ यौन संबंध बनाने में बाधक नहीं बनेंगे। आमतौर पर ऐसा जातक स्वाभाव से बहुत रोमांटिक होता है और अन्य महिलाओं के साथ प्यार और सेक्स के लिए लालायित रहता है। कमाई शुरू करने से पहले ही जातक की शादी हो जाती है। ऐसा जातक हमउम्र लोगो का नेता बन जाता है, लेकिन परिवार के सदस्यों का नेतृत्व करना मुसीबतों का कारण बनता है। ऐसा जातक कपडों के व्यापार से बहुत लाभ कमाता है। आमतौर पर ऐसे जातक की रुचि धार्मिक गतिविधियों में नहीं होती। जब वर्षफल में शुक्र सातवें भाव में आता है तो यह जीर्ण ज्वर और खूनी खाँसी का कारण बनता है।
उपाय:
(1) 25 वर्ष की उम्र में शादी न करें।
(2) हमेशा दूसरों की सलाह लेकर ही किसी नये काम की शुरुआत करें।
(3) काले रंग की गाय की सेवा करें।
(4) दिन के समय सेक्स करने से बचें।
(5) दही मिलाकर स्नान करें।
(6) गोमूत्र का सेवन बहुत उपयोगी होगा।
शुक्र द्वितीय भाव में होने परः-
दूसरों का बुरा या बुराई करना जातक के लिए हानिकारक साबित होगा। साठ वर्ष की उम्र तक पैसा, धन और संपत्ति बढते जाएंगे। शेरमुखी घर (सामने से व्यापक पीछे से कम) जातक के लिए विनाशकारी साबित होगा। सोने और आभूषणों से संबंधित व्यवसाय या व्यापार अत्यंत हानिकारक होगा। मिट्टी के सामान से जुडा व्यवसाय, कृषि और पशु बेहद फायदेमंद साबित होंगे। स्त्री जातक की कुण्डली में दूसरे भाव में स्थित शुक्र संतान की समस्या देता है जबकि पुरुष जातक की कुण्डली में ऐसी स्थित पुत्र संतान की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करती है।
उपाय:
(1) संतान की समस्या के लिए जातक को मंगल से संबंधित चीजें जैसे शहद, सौंफ अथवा देशी खांड का इस्तेमाल करना चाहिए।
(2) गायों को हल्दी के पीले रंग से रंगे दो किलोग्राम आलू खिलाएं।
(3) मंदिर में दो किलोग्राम गाय का घी भेंट करें।
(4) व्यभिचार से बचें।
शुक्र तृतीय भाव में होने पर:-
यहाँ स्थित शुक्र जातक को एक आकर्षक व्यक्तित्व देता है जिससे हर स्त्री उसकी ओर आकर्षित होती है। आम तौर पर सभी उसे प्यार करते हैं। यदि जातक किसी और स्त्री से संबंध रखता है तो जातक को अपनी पत्नी की चापलूसी करनी पडती है। अन्यथा वह हमेशा अपनी पत्नी पर हावी रहता है। हालांकि जातक की पत्नी सब पर हावी रहेगी लेकिन यदि जातक पराई स्त्री से संबंध नही रखता हो वह उस पर हावी रहेगा। जातक की पत्नी साहसी, समर्थक और बैलगाड़ी के दूसरे बैल की तरह जातक के लिए सहयोगी होगी। वह जातक को छल, चोरी और नुकसान से बचाने वाली होगी। अन्य महिलाओं के साथ संपर्क जातक के लिए हानिकारक साबित होगा और दीर्घायु पर प्रतिकूल असर डालने वाल होगा। यदि नवम और एकादश भाव में शुक्र के शत्रु ग्रह स्थित हों तो प्रतिकूल परिणामों की प्राप्ति होगी। जातक के कई बेटियां होंगी।
उपाय:
(1) अपनी पत्नी का सम्मान करें और अतिरिक्त वैवाहिक मामलों से बचें।
(2) पराई औरतों के साथ छेड़खानी (फ्लर्ट) करने से बचें।
शुक्र चतुर्थ भाव में हो तो:-
चौथे भाव में स्थित शुक्र दो पत्नियों की संभावना को मजबूत करता है और जातक को धनवान बनाता है। यदि बृहस्पति दसम भाव में हो और शुक्र चौथे भाव में हो और जातक धार्मिक बनने की कोशिश करेगा तो हर तरफ से प्रतिकूल परिणाम मिलेंगे। यदि जातक ने कुएं के ऊपर छ्त बना रखी है या मकान बना रखा है तो चौथे भाव में बैठा शुक्र पुत्र प्राप्ति की संभावना को कमजोर करता है। बुध से संबंधित व्यापार भी नुकशान देय होता है। यदि जातक शराब पीता है तो शनि विनाशकारी प्रभाव देगा। मंगल से संबंधित व्यापार जातक के लिए फायदेमंद साबित होगा। चौथे घर का शुक्र और पहले घर का बृहस्पति सास से झगडा करवाता है।
उपाय:
(1) अपनी पत्नी का नाम बदलें और उससे औपचारिक रूप से पुनर्विवाह करें।
(2) चावल, चांदी और दूध बहते पानी में बहाएं अथवा खीर या दूध माँ समान महिलाओं को खिलाने से सास और बहू के बीच होने वाले झगड़े शांत होंगे।
(3) पत्नी के स्वास्थ्य के लिए घर की छत को साफ और स्वच्छ बनाए रखें।
(4) बृहस्पति से सम्बन्धित चीजें जैसे चना, दालें, और केसर की तरह नदी में बहाएं।
शुक्र पंचम भाव में होने पर:-
पांचवां घर सूर्य का पक्का घर है जहां शुक्र सूर्य की गर्मी से जल जाएगा। नतीजन जातक इश्कबाज और कामुक होगा। उसे अपने जीवनकाल में बडे दुर्भाग्य का सामना करना पडेगा। हालांकि, यदि जातक अपने चरित्र को अच्छा बनाए रखता है वह जीवन की कठिनाइयों के को पार कर जाएगा और धनवान बनेगा। शादी के पांच साल के बाद उसे पदोन्नति मिलेगी। आम तौर पर ऐसा जातक अनुभवी और शत्रुओं को परास्त करने वाला होता है।
उपाय:
(1) अपने माता पिता की मर्जी के खिलाफ शादी न करें।
(2) गायों और माँ के समान स्त्रियों की सेवा करें।
(3) पराई स्त्रियों से सम्बन्ध न रखें।
(4) जातक दूध या दही से अपना गुप्तांग साफ करें।
शुक्र शष्टम भाव में होने पर:-
यह घर बुध और केतू का माना गया है जो एक दूसरे के शत्रु हैं। लेकिन शुक्र दोनों का मित्र है। इस घर में शुक्र नीच का होता है। लेकिन यदि जातक विपरीत लिंगी को प्रसन्न रखता है और सारे और सुविधा उपलब्ध करवाता है तो उसके धन और पैसे में बृद्धि होगी। जातक की पत्नी को पुरुषों के जैसे कपडे नहीं पहनने चाहिए और न ही पुरुषों के जैसे बाल रखने चाहिए अन्यथा गरीबी बढती है। ऐसे जातक को उसी से विवाह करना चाहिए जिसके भाई हों। इसके अलावा, जातक कोई भी पूरा किए बिना काम बीच में नहीं छोडता।
उपाय:
(1) पत्नी के बालों में सोने की हेयर क्लिप का उपयोग करवाएं।
(2) खयाल रखें कि पत्नी नंगे पैर न चले।
(3) निजी अंगों को लाल दवा से धोएं।
शुक्र सप्तम भाव में होने पर:-
यह घर शुक्र का ही होता है अत: यहां स्थित शुक्र बहुत अच्छे परिणाम देता है। अगर यह इस घर में रखा गया है। पहले भाव में स्थित ग्रह सातवें भाव पर इस प्रकार प्रभाव डालता है मानो वह सातवें भाव में स्थित हो। यदि पहले भाव में स्थित ग्रह शुक्र का शत्रु ग्रह जैसे राहू हो तो जातक की पत्नी और घरेलू मामले बुरी तरह से प्रभावित होंगे। जातक बडे पैमाने पर अपने पैसे महिलाओं पर खर्च करता है। विवाह से संबंधित व्यापार-व्यवसाय जैसे टेन्ट हाउस और ब्यूटी पार्लर आदि का काम जातक के लिए फायदेमंद रहेगा। एक आँख और काली औरत के साथ एसोसिएशन उपयोगी साबित होगा। काने व्यक्ति या काली औरत की संगति फायदेमंद रहेगी।
उपाय:
(1) सफेद गाय न पालें।
(2) लाल गायों की सेवा करें।
(3) जीवन साथी के बजन के बराबर किसी मन्दिर में जौ दान करें।
(4) गंदी नाली या नहर में 43 दिनों तक नीले फूल फेंकें।
शुक्र अष्टम भाव में होने पर:-
इस घर में कोई ग्रह शुभ नहीं माना जाता है यहां तक कि शुक्र भी इस घर में बिगड जाता है और जहरीला हो जाता है। ऐसे जातक की पत्नी गुस्सैल और अत्यधिक चिड़चिडी हो जाती है। उसके मुँह से निकली बुरी बातें निश्चित रूप से सच साबित होती हैं। जातक स्वयं की सहानुभूति से पीडित हो जाएगा। किसी की गारंटी या जामानत लेना विनाशकारी साबित होगा। यदि दूसरे भाव में कोई ग्रह न हो तो 25 साल से पहले शादी न करें अन्यथा पत्नी मर जाएगी।
उपाय:
(1) कोई भी वस्तु दान के रूप में स्वीकार न करें।
(2) नियमित रूप से मन्दिर जाएं और पूजा स्थलों तथा मंदिरों में सिर झुकाएं।
(3) तांबे के सिक्के या नीले फूल लगातार दस दिनों तक गटर या गंदे नाले में फेंकें
(4) दही से अपने गुप्तांगों को धोएं।
शुक्र नवम भाव में होने पर:-
इस घर में स्थित शुक्र अच्छे परिणाम नहीं देता। जातक धनवान हो सकता है लेकिन अपनी रोटी के लिए उसे कडी मेहनत करनी पडेगी। उसे अपने प्रयासों का उचित पुरस्कार नहीं मिलेगा। घर में पुरुष सदस्यों, पैसा, धन और संपत्ति की कमी हो जाएगी। यदि शुक्र बुध या किसी अशुभ ग्रह के साथ है तो जातक सत्रह साल की उम्र से नशे और किसी रोग का शिकार हो जाएगा।
उपाय:
(1) घर की नींव चांदी और शहद दबाएं।
(2) पत्नी (या स्त्री है तो स्वयं) लाल चूड़ियाँ पहनें जिनमें चांदी की धारियां हों अथवा चांदी चूड़ियाँ जिन पर लाल रंग की डिजाइनिंग हो।
(3) किसी नीम के पेड़ के नीचे 43 दिनों के लिए चांदी का टुकड़ा दबाएं।
शुक्र दशम भाव में होने पर:-
इस घर में शुक्र जातक को लालची, संदिग्ध और हस्तकला में रुचि लेने वाला बनाता है। जातक अपनी पत्नी के मार्गदर्शन के तहत कार्य करेगा। जब तक पत्नी जातक के साथ होगी हर मुसीबत जातक से दूर रहेगी। कोई मोटर कार दुर्घटना या अन्य कोई नुकशान नहीं होगा। शनि से जुड़े व्यापार और चीजें फायदेमंद साबित होंगी।
उपाय:
(1) निजी अंगों को दही से धुलें।
(2) घर की पश्चिमी दीवार मिट्टी की होनी चाहिए।
(3) शराब, अण्डा और मांशाहारी भोजन न करें।
(4) बीमार होने की दशा में काले रंग की गाय का दान करना चाहिए।
शुक्र एकादश भाव में होने पर:-
इस घर में शुक्र शनि और बृहस्पति से प्रभावित होता है, क्योंकि यह घर बृहस्पति और शनि के अंतर्गत आता है। यह घर तीसरे भाव से देखा जाता है जो कि मंगल और बुध का घर है। जातक की पत्नी अपने भाई के माध्यम से, बहुत फायदेमंद साबित होगी।
उपाय:
(1) बुध का उपाय उपयोगी रहेगा।
(2) शनिवार को तेल का दान करें।
(3) आम तौर पर जातक के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है। ऐसे में जातक को दूध में सोने के गरम टुकडे को बुझाकर दूध पीना चाहिए।
शुक्र द्वादश भाव में होने पर:-
इस घर उच्च का शुक्र बहुत लाभकारी परिणाम देता है। जातक के पास ऐसी पत्नी होगी जो मुसीबत के समय में किसी ढाल की तरह कार्य करेगी। महिलाओं से मदद लेना जातक के लिए अत्यधिक फायदेमंद साबित होगा। जातक को सरकार से सहयोग मिलेगा। शुक्र की बृहस्पति से शत्रुता के कारण पत्नी को स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं। दूसरे या छठवें भाव में स्थित बुध जातक को रोगी बनाता है लेकिन जातक को साहित्यिक और काव्य प्रतिभा प्रदान करता है। ऐसा जातक 59 साल की उम्र में उच्च आध्यात्मिक शक्तियों प्राप्त करता है और 96 वर्षों तक जीवित रहता है।
उपाय:
(1) पत्नी (स्त्री) नीला फूल या फल सूर्यास्त (शाम) के समय किसी सुनसान जगह पर खोद कर दबाए, इससे स्वास्थ अच्छा रहेगा।
(2) यदि पत्नी दूसरों को दान देती है तो वह पति के लिए किसी रक्षा की दीवार की तरह काम करेगी।
(3) गाय पालें और दान भी करें।
(4) पत्नी को प्यार, इज्जत और सम्मान दें।
लाल किताब और शनि दोष निवारण उपाय
शनि प्रथम भाव में होने परः-
पहला घर सूर्य और मंगल ग्रह से प्रभावित होता है। पहले घर में शनि तभी अच्छे परिणाम देगा जब तीसरे, सातवें या दसवें घर में शनि के शत्रु ग्रह न हों। यदि, बुध या शुक्र, राहू या केतू, सातवें भाव में हों तो शनि हमेशा अच्छे परिणाम देगा। यदि शनि नीच का हो और जातक के शरीर में बाल अधिक हों तो जातक गरीब होगा। यदि जातक अपना जन्मदिन मनाता है तो बहुत बुरे परिणाम मिलेंगे हालांकि जातक दीर्घायु होगा।
उपाय:
(1) शराब और मांसाहारी भोजन से स्वयं को बचाएं।
(2) नौकरी और व्यवसाय में लाभ के लिए जमीन में सुरमा दफनायें।
(3) सुख और समृद्धि के लिए बंदरों की सेवा करें।
(4) बरगद के पेड़ की जड़ों पर मीठा दूध चढानें से शिक्षा और स्वास्थ्य में सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
शनि द्वितीय भाव में होने परः-
जातक बुद्धिमान, दयालु और न्यायकर्ता होगा। वह धन का आनंद लेगा और धार्मिक स्वभाव का होगा। भले ही शनि उच्च का हो या नीच का, यह नतीजा आठवें भाव में बैठे ग्रह पर निर्भर करेगा। जातक की वित्तीय स्थिति सातवें भाव में स्थित ग्रह पर निर्भर करेगी। परिवार में पुरुष सदस्यों की संख्या छठवें भाव और आयु आठवें भाव पर निर्भर करेगी। जब शनि इस भाव में नीच का हो तो शादी के बाद उसके ससुराल वाले परेशान होंगे।
उपाय:
(1) लगातार 43 दिनों तक नंगे पांव मंदिर जाएं।
(2) माथे पर दही या दूध का तिलक लगाएं।
(3) साँप को दूध पिलाए।
शनि तृतीय भाव में होने पर:-
इस घर में शनि अच्छा परिणाम देता है। यह घर मंगल ग्रह का पक्का घर है। जब केतु अपने इस घर को देखता है तो यहां बैठा शनि बहुत अच्छे परिणाम देता है। जातक स्वस्थ, बुद्धिमान और बहुत सरल स्वभाव का होता है। यदि जातक धनवान होगा तो उसके घर में पुरुष सदस्यों की संख्या कम होगी। गरीब होने की दशा में परिणाम उल्टा होगा। यदि जातक शराब और मांशाहार से दूर रहता है तो वह लम्बे और स्वस्थ जीवन का आनंद उठाएगा।
उपाय:
(1) तीन कुत्तों की सेवा करें।
(2) आँखों की दवाएं मुफ्त बांटें।
(3) घर में एक कमरे में हमेशा अंधेरा रखना बहुत फायदेमंद साबित होगा।
शनि चतुर्थ भाव में हो तो:-
यह भाव चंद्रमा का घर होता है। इसलिए शनि इस भाव में मिलेजुले परिणाम देता है। जातक अपने माता पिता के प्रति समर्पित होगा और प्रेम मुहब्बत से रहने वाला होगा। जब कभी जातक बीमार होगा तो चंद्रमा से संबंधित चीजें फायदेमंद होंगी। जातक के परिवार से कोई व्यक्ति चिकित्सा विभाग से संबंधित होगा। जब शनि इस भाव में नीच का होकर स्थित हो तो शराब पीना, सांप मारना और रात के समय घर की नीव रखना जैसे काम बहुत बुरे परिणाम देते हैं। रात में दूध पीना भी अहितकर है।
उपाय:
(1) साँप को दूध पिलाएं अथवा दूध चावल किसी गाय या भैंस को खिलाएं।
(2) किसी कुएं में दूध डालें और रात में दूध न पियें।
(3) चलते पानी में रम डालें।
शनि पंचम भाव में होने पर:-
यह भाव सूर्य का घर होता है। जो शनि का शत्रु ग्रह है। जातक घमंडी होगा। जातक को 48 साल तक घर का निर्माण नहीं करना चाहिए, अन्यथा उसके बेटे को तकलीफ होगी। उसे अपने बेटे के बनवाए या खरीदे हुए घर में रहना चाहिए। जातक को अपने पैतृक घर में बृहस्पति और मंगल ग्रह से संबंधित वस्तुएं रखनी चाहिए, इससे उसके बच्चों का भला होता है। यदि जातक के शरीर में बाल अधिक होंगे तो जातक बेईमान हो जाएगा।
उपाय:
(1) बेटे के जन्मदिन पर नमकीन चीजें बाटें।
(2) बादाम का एक हिस्सा मंदिर में बाटें और दूसरा हिस्सा लाकर घर में रख दें।
शनि शष्टम भाव में होने पर:-
यदि शनि ग्रह से संबंधित काम रात में किया जाय तो हमेशा लाभदायक परिणाम मिलेंगे। यदि शादी के 28 साल के बाद होगी तो अच्छे परिणाम मिलेंगे। यदि केतु अच्छी स्थित में हो जातक धन, लाभदायक यात्रओं और बच्चों के सुख का आनंद पाता है। यदि शनि नीच का हो तो शनि से सम्बंधित चीजें जैसे चमडा, लोहा आदि को लाना हानिकारक होता है, खासकर तब, जब शनि वर्षफल में छठवें भाव में हो।
उपाय:
(1) एक काला कुत्ता पालें और उसे भोजन करायें।
(2) नदी या बहते पानी में नारियल और बादाम बहाएं।
(3) सांप की सेवा बच्चों के कल्याण के लिए फायदेमंद साबित होगी।
शनि सप्तम भाव में होने पर:-
यह घर बुध और शुक्र से प्रभावित होता है, दोनो ही शनि के मित्र ग्रह हैं। इसलिए शनि इस घर में बहुत अच्छा परिणाम देता है। शनि से जुड़े व्यवसाय जैसे मशीनरी और लोहे का काम बहुत लाभदायक होगा। यदि जातक अपनी पत्नी से अच्छे संबंध रखता है तो वह अमीर और समृद्ध होगा और लंबी आयु के साथ अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेगा। यदि बृहस्पति पहले घर में हो तो सरकार से लाभ होगा। यदि जातक व्यभिचारी हो जाता है या शराब पीने लगता है तो शनि नीच और हानिकर हो जाता है। यदि जातक 22 साल के बाद शादी करता है तो उसकी दृष्टि पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है।
उपाय:
(1) किसी बांसुरी में चीनी भरें और किसी सुनसान जगह जैसे कि जंगल आदि में दफना दें।
(2) काली गाय की सेवा करें।
शनि अष्टम भाव में होने पर:-
आठवें घर में कोई भी ग्रह शुभ नहीं माना जाता है। जातक दीर्घायु होगा लेकिन उसके पिता की उम्र कम होती है और जातक के भाई एक-एक करके शत्रु बनते जाते हैं। यह घर शनि का मुख्यालय माना जाता है, लेकिन यदि बुध, राहू और केतु जातक की कुंडली में नीच के हैं तो शनि बुरा परिणाम देगा।
उपाय:
(1) अपने साथ चांदी का एक चौकोर टुकड़ा रखें।
(2) नहाते समय पानी में दूध डालें और किसी पत्थर या लकड़ी के आसन पर बैठ कर स्नान करें।
शनि नवम भाव में होने पर:-
जातक के तीन घर होंगे। जातक एक सफल यात्रा संचालक (टूर ऑपरेटर) या सिविल इंजीनियर होगा। वह एक लंबे और सुखी जीवन का आनंद लेगा साथ ही जातक के माता – पिता भी सुखी जीवन का आनंद लेंगे। यहां स्थित शनि जातक की तीन पीढ़ियों शनि के दुष्प्रभाव से बचाएगा। अगर जातक दूसरों की मदद करता है तो शनि ग्रह हमेशा अच्छे परिणाम देगा। जातक के एक बेटा होगा, हालांकि वह देर से पैदा होगा।
उपाय:
(1) बहते पानी में चावल या बादाम बहाएं।
(2) बृहस्पति से संबंधित (सोना, केसर) और चंद्रमा से संबंधित (चांदी, कपड़ा) का काम अच्छे परिणाम देंगे।
शनि दशम भाव में होने पर:-
यह शनि का अपना घर है, जहां शनि अच्छा परिणाम देगा। जातक तब तक धन और संपत्ति का आनंद लेता रहेगा, जब तक कि वह घर नहीं बनवाता। जातक महत्वाकांक्षी होगा और सरकार से लाभ का आनंद लेगा। जातक को चतुराई से काम लेना चाहिए और एक जगह बैठ कर काम करना चाहिए। तभी उसे शनि से लाभ और आनंद मिल पाएगा।
उपाय:
(1) प्रतिदिन मंदिर जाएं।
(2) शराब, मांस और अंडे से परहेज करें।
(3) दस अंधे लोगों को भोजन कराएं।
शनि एकादश भाव में होने पर:-
जातक के भाग्य का निर्धारण उसकी उम्र के अडतालीसवें वर्ष में होगा। जातक कभी भी निःसंतान नहीं रहेगा। जातक चतुराई और छल से पैसे कमाएगा। शनि ग्रह राहु और केतु की स्थिति के अनुसार अच्छा या बुरा परिणाम देगा।
उपाय:
(1) किसी महत्वपूर्ण काम को शुरू करने से पहले 43 दिनों तक तेल या शराब की बूंदें जमीन पर गिराएं।
(2) शराब न पियें और अपना नैतिक चरित्र ठीक रखें।
शनि द्वादश भाव में होने पर:-
शनि इस घर में अच्छा परिणाम देता है। जातक के दुश्मन नहीं होंगे। उसके कई घर होंगे। उसके परिवार और व्यापार में वृद्धि होगी। वह बहुत अमीर हो जाएगा। हालांकि, यदि जातक शराब पिए, मांशाहार करे या अपने घर के अंधेरे कमरे में रोशनी करे तो शनि नीच का हो जाएगा।
उपाय:
(1) किसी काले कपड़े में बारह बादाम बांधकर उसे किसी लोहे के बर्तन में भरकर किसी अंधेरे कमरे में रखने से अच्छे परिणाम मिलेंगे।
लाल किताब और राहु दोष निवारण उपाय
राहु प्रथम भाव में होने परः-
पहला घर मंगल और सूर्य से प्रभावित होता है, यह घर किसी सिंहासन की तरह होता है। पहले घर में बैठा ग्रह सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। जातक अपनी योग्यता से बडा पद प्राप्त करेगा। उसे सरकार से भी अच्छे परिणाम मिलेंगे। इस घर में राहू उच्च के सूर्य के समान परिणाम देगा। लेकिन सूर्य जिस भाव में बैठा है उस भाव के फल प्रभावित होंगे। यदि मंगल, शनि और केतू कमजोर हैं तो राहू बुरे परिणाम देगा अन्यथा यह पहले भाव में अच्छे परिणाम देगा। यदि राहू नीच का हो तो जातक को कभी भी ससुराल वालों से बिजली के उपकरण या नीले कपडे नहीं लेने चाहिए, अन्यथा उसके पुत्र पर बुरा प्रभाव पडता है। राहू के दुष्परिणाम 42 साल की उम्र तक मिलते हैं।
उपाय:
(1) बहते पानी में 400 ग्राम सुरमा बहाएं।
(2) गले में चांदी पहनें।
(3) 1:4 के अनुपात में जौ में दूध मिलाए और बहते पानी में बहाएं।
(4) बहते पानी में नारियल बहाएं।
राहु द्वितीय भाव में होने परः-
यदि दूसरे घर में राहू शुभ अवस्था में हो तो जातक पैसा एवं प्रतिष्ठा प्राप्त करता है और किसी राजा की तरह जीवन जीता है। जातक दीर्घायु होता है। दूसरा भाव बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित होता है। यदि बृहस्पति शुभ हो तो जातक अपनी प्रारंभिक अवस्था में धन से युक्त व आराम भरी जिन्दगी जीता है। यदि राहू नीच का हो तो जातक गरीब होता है, उसका पारिवारिक जीवन खराब होता है। वह पेट के विकारों से परेशान होता है। जातक पैसे बचाने में असमर्थ होता है और उसकी मृत्यु किसी हथियार से होती है। उसके जीवन के दसवें, इक्कीसवें और बयालीसवें वर्ष में चोरी आदि माध्यमों से उसका धन खो जाता है।
उपाय:
(1) चांदी की एक ठोस गोली अपनी जेब में रखें।
(2) बृहस्पति से सम्बंधित चीजें जैसे सोना, पीले कपड़े और केसर आदि उपयोग में लाएं।
(3) माँ के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखें।
(4) शादी के बाद ससुराल वालों से कोई बिजली का उपकरण न लें।
राहु तृतीय भाव में होने पर:-
यह राहु का पक्का घर है। तीसरा घर बुध और मंगल से प्रभावित होता है। यदि यहां राहू शुभ हो तो, बहुत धन दौलत वाला और दीर्घायु होता। वह एक निडर और वफादार दोस्त होता है। वह सपनों के माध्यम से भविष्य देख सकेगा। वह कभी नि:संतान नहीं होगा। वह शत्रुओं पर विजय पाने वाला होगा। वह कभी भी कर्जदार नहीं रहेगा। वह अपने पीछे सम्पत्ति छोड जाएगा। अपने जीवन के 22वें वर्ष में वह प्रगति करेगा। लेकिन अगर राहू तीसरे घर में अशुभ है तो उसके भाई और रिश्तेदार अपने पैसे बर्बाद करेंगे। वह किसी को पैसे उधार देगा तो वापस नहीं मिलेंगे। जातक में वाणी दोष होगा और वह नास्तिक होगा। यदि सूर्य और बुध भी राहू के साथ तीसरे घर में हों तो उसकी बहन अपनी उम्र के 22वें या 32वें साल में विधवा हो सकती है।
उपाय:
(1) घर में कभी भी हाथीदांत या हाथीदांत की वस्तुएं न रखें।
राहु चतुर्थ भाव में हो तो:-
यह घर चंद्रमा का है जो कि राहू क शत्रु है। जब इस घर में रहु शुभ हो तो जातक बुद्धिमान, अमीर और अच्छी चीजों पर पैसे खर्च करने वाला होगा। तीर्थ यात्रा पर जाना जातक के लिए फायदेमंद होगा। यदि शुक्र भी शुभ हो तो शादी के बाद जातक के ससुराल वाले भी अमीर हो जाते हैं और जातक को उनसे भी लाभ मिलता है। यदि चंद्रमा उच्च का हो तो जातक बहुत अमीर हो जाता है और बुध से संबंधित कामों से बहुत लाभ कमाता है। यदि राहू नीच का या अशुभ हो और चंद्रमा कमजोर हो तो जातक गरीब होता है और जातक की मां परेशान होती है। कोयले का एकत्रीकरण, शौचालय फेरबदल, जमीन में तंदूर बनाना और छ्त में फेरबदल करना हानिकारक होगा।
उपाय:
(1) चांदी पहनें।
(2) 400 ग्राम धनिया या बादाम दान करें अथवा दोनो को पानी में बहाएं।
राहु पंचम भाव में होने पर:-
पांचवां घर सूर्य का होता है जो पुरुष संतान का संकेतक है। यदि राहू शुभ हो तो जातक अमीर, बुद्धिमान और स्वस्थ होता है। वह अच्छी आमदनी और अच्छी प्रगति का आनंद पाता है। जातक भक्त या दार्शनिक होता है। यहां स्थित नीच का राहू गर्भपात करवाता है। पुत्र के जन्म के बाद जातक की पत्नी बारह सालों तक बीमार रहती है। यदि बृहस्पति भी पांचवें भाव मेम स्थित हो तो जातक के पिता को कष्ट होगा।
उपाय:
(1) अपने घर में चांदी से बना हाथी रखें।
(2) शराब, मांशाहार, अण्डे के सेवन और व्यभिचार से बचें।
(3) अपनी पत्नी से ही दो बार शादी करें।
राहु शष्टम भाव में होने पर:-
इस घर बुध या केतु से प्रभावित होता है। राहू यहां उच्च का होता है और अच्छे परिणाम देता है। जातक सभी प्रकार की झंझटों या मुसीबतों के मुक्त होगा। जातक कपड़ों पर पैसा खर्च करेगा। जातक बुद्धिमान और विजेता होगा। जब राहु अशुभ हो तो वह अपने भाइयों या दोस्तों को नुकसान पहुंचाएगा। जब बुध या मंगल ग्रह बारहवें भाव में हों तो राहु बुरा परिणाम देता है। जातक विभिन्न बीमारियों या धनहानि से ग्रस्त होता है। किसी काम पर जाते समय छींक का होना जातक के लिए अशुभफलदायी होगा।
उपाय:
(1) एक काला कुत्ता पालें।
(2) अपनी जेब में काला सुरमा रखें।
(3) भाइयों / बहनों को कभी नुकसान न पहुंचाएं।
राहु सप्तम भाव में होने पर:-
जातक अमीर होगा लेकिन पत्नी बामार होगी। वह अपने दुश्मनों पर विजयी होगा। उम्र के इक्कीस साल से पहले शादी का होना अशुभ होगा। जातक के सरकार के साथ अच्छे संबंध होंगे। लेकिन यदि जातक राहू से संबंधित व्यवसाय जैसे बिजली के उपकरणों के व्यापार से जुडेगा तो उसे नुकसान होगा। जातक सिर दर्द से पीड़ित होगा। यदि बुध शुक्र अथवा केतू ग्यारहवें भाव में हों तो राहू बहन, पत्नी या बेटे को नष्ट करेगा।
उपाय:
(1) 21 साल की उम्र के पहले शादी न करें।
(3) नदी में छह नारियल प्रवाहित करें।
राहु अष्टम भाव में होने पर:-
आठवें घर का संबध शनि और मंगल ग्रह से होता है। इसलिए इस भाव का राहू अशुभ फल देता है। जातक अदालती मामलों में बेकार में पैसे खर्च करता है।परिवारिक जीवन भी प्रतिकूलता से प्रभावित होता है। यदि मंगल ग्रह शुभ हो तथा पहले या आठवें घर में हो अथवा शुभ शनि आठवें घर में हो तो जातक बहुत अमीर होगा।
उपाय:
(1) चांदी का एक चौकोर टुकड़ा पास रखें।
(2) सोते समय तकिये के नीचे सौंफ रखें।
(3) बिजली का काम या बिजली विभाग में काम न करें।
राहु नवम भाव में होने पर:-
नौवां घर बृहस्पति से प्रभावित होता है। यदि जातक का अपने भाइयों और बहनों के साथ अच्छा संबंध है तो यह यह फायदेमंद होगा, अन्यथा जातक पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा। यदि जातक धार्मिक स्वभाव का नहीं है तो जातक की संतान जातक के लिए बेकार रहेगी। शनि से संबम्धित व्यापार फायदेमंद रहेगा। यदि बृहस्पति पांचवें या ग्यारहवें घर में हो तो यह निष्प्रभावी होगा। यदि राहू अशुभ होकर नौवें भाव में हो तो पुत्र प्राप्ति की संभावनाएं कम रहती हैं, खासकर तब और जब जातक अपने किसी सगे रिश्तेदार कि खिलाफ कोई अदालती मामला दायर करता है। यदि राहू नौवें भाव में हो और पहला भाव खाली हो तो जातक का स्वास्थ्य पीडित होता है और जातक उम्र में बडे लोगों के द्वारा अपमानित होता है और मानसिक रूप से प्रताडित होता है।
उपाय:
(1) प्रतिदिन केसर का तिलक लगाएं।
(2) सोना पहनें।
(3) कुत्ता न पालें लेकिन समस्या होने पर कुत्ते को भोजन कराएं। कुत्ता रखने से संतान रक्षा होगी।
(4) ससुराल वालों से अच्छे संबंध बनाकर रखें।
राहु दशम भाव में होने पर:-
सिर के ऊपर कुछ न पहनना दसम भाव में स्थित दुर्बल राहु का प्रभाव देता है। राहू का अच्छा या बुरा परिणाम शनि की स्थिति पर निर्भर करेगा। यदि शनि शुभ है तो जातक बहादुर, दीर्घायु, और अमीर होता है तथा उसे सभी प्रकार से सम्मान मिलता है। यदि दसवें भाव में राहू चन्द्रमा के साथ हो तो यह राज योग बनाता है। जातक अपने पिता के लिए भाग्यशाली होता है। यदि यहां पर राहू अशुभ हो तो जातक की मां पर बुरा असर पडता है और जातक का स्वास्थ्य भी खराब होगा। यदि चंद्रमा चतुर्थ भाव में अकेला हो तो जातक की आंखों पर बुरा प्रभाव पडेगा। जातक सिर दर्द से पीड़ित होगा और उसे किसी काले व्यक्ति के द्वारा धन हानि होगी।
उपाय:
(1) नीली या काली टोपी पहनें।
(2) सिर को ढक कर रखें।
(3) किसी मंदिर में 4 किलो या 400 ग्राम खांड चढाएं अथवा पानी में बहाएं।
(4) अंधे लोगों को खाना खिलाएं।
राहु एकादश भाव में होने पर:-
ग्यारहवां घर शनि और बृहस्पति दोनो के प्रभाव में होता है। जब तक जातक के पिता जीवित हैं तब तक जातक अमीर होगा। वैकल्पिक रूप से, बृहस्पति की वस्तुएं रखना सहयोगी सिद्ध होंगी। जातक के दोस्त अच्छे नहीं होंगे। उसे मतलबी लोगों से पैसा मिलेगा। पिता की मृत्यु के बाद जातक को गले में सोना पहनना चाहिए। यदि राहू के साथ नीच का मंगल ग्यारहवें भाव में हो तो जातक के जन्म के समय घर में सारी चीजें होंगी लेकिन धीरे धीरे करके सारी चीजें बरबाद होनें लगेंगी। यदि ग्यारहवें भाव में अशुभ राहू हो तो जातक के अपने पिता सम्बंध ठीक नहीं होंगें यहां तक की जातक उन्हें मार भी सकता है। दूसरे भाव में स्थित ग्रह शत्रु की तरह कार्य करेंगे। यदि बृहस्पति या शनि तीसरे या ग्यारहवें भाव में हों तो शरीर में लोहा पहनें और चांदी की गिलास में पानी पिएं। पांचवें भाव में स्थित केतू बुरे परिणाम देगा। कान, रीढ़, मूत्र से संबंधित समस्याएं या रोग हो सकते हैं। केतु से संबंधित व्यापार में नुकसान हो सकता है।
उपाय:
(1) लोहा पहनें और पीने के पानी के लिए चांदी का गिलास का प्रयोग करें।
(2) कभी भी कोई बिजली का उपकरण उपहार के रूप में न लें।
(3) नीलम, हाथीदांत या हाथी का खिलौने से दूर रहें।
राहु द्वादश भाव में होने पर:-
बारहवां घर बृहस्पति से संबंधित होता है। यह शयन सुख का घर होता है। यहां स्थित राहु मानसिक परेशानियां और अनिद्रा देता है। यह बहनों और बेटियों पर अत्यधिक व्यय भी करवाता है। यदि राहु शत्रु ग्रहों के साथ हो तो आप कितनी भी मेहनत कर लें आपके खर्चे आपकी आमदनी से अधिक ही रहेंगे। यह झूठे आरोप भी लगवाता है। जातक आत्महत्या की चरमसीमा तक जा सकता है। जातक मानसिक चिंताओं से घिरा रहता है। झूठ बोलना, दूसरों को धोखा आदि देना राहु को और भी हानिकर बानाता है। किसी भी नए काम की शुरुआत में अशुभ परिणाम मिलते हैं। चोरी, बामारी और झूठे आरोपों के लगने का भय रहता है। यदि यहां राहू के साथ मंगल भी हो तो अच्छे परिणाम मिलते हैं।
उपाय:
(1) रसोई में बैठ कर ही भोजन करें।
(2) रात में अच्छी नींद के लिए तकिये के नीचे सौंफ और खांड रखें।
लाल किताब और केतु दोष निवारण उपाय
केतु प्रथम भाव में होने परः-
यदि केतु इस घर में शुभ है, तो जातक श्रमसाध्य, अमीर और खुशहाल होगा। लेकिन अपनी संतान की वजह से हमेशा चिंतित और परेशान होगा। वह लगातार स्थानान्तरण या यात्रा डरा रहेगा लेकिन अंत में यह हमेशा ये स्थगित हो जाया करेंगे। जब वर्ष कुंडली में केतू पहले घर में आता है तो जातक के घर पुत्र या या भतीजे का जन्म हो सकता है। लम्बी यात्रा भी हो सकती है। सूर्य की उच्चता के कारण ऐसा जातक हमेशा अपने माता पिता और गुरुजनों के लिए फायदेमंद होगा। यदि पहले घर में केतु अशुभ हो तो जातक सिर दर्द से पीड़ित होगा। उसकी पत्नी स्वास्थ्य समस्याओं और बच्चों से संबंधित चिंताओं से ग्रस्त होगी। यदि दूसरा और सातवां घर खाली हो तो बुध और शुक्र भी बुरे परिणाम देते हैम। बिना फायदे के स्थानांतरण और यात्राएं होंगी। यदि शनि नीच का हो तो यह पिता और गुरु को नष्ट करेगा। यदि सूर्य सातवें या आठवेम स्थान में हो तो पोते के जन्म के बाद स्वास्थ्य खराब रहेगा। सुबह और शाम के समय भीख नहीं देनी चाहिए।
उपाय:
(1) बंदरों को गुड़ खिलायें।
(2) केसर का तिलक लगाएं।
(3) यदि संतान से परेशान है तो मंदिर में काले और सफेद रंग वाला कंबल दान करें।
केतु द्वितीय भाव में होने परः-
दूसरा घर चंद्रमा से प्रभावित होता है, जो केतु का शत्रु ग्रह है। यदि दूसरे भाव में स्थित केतू शुभ है तो जातक को पैतृक सम्पत्ति मिलती है। जातक खूब यात्राएं करेगा और यात्राओं से लाभ मिलेगा। ऐसी स्थित में शुक्र अपनी स्थिति के अनुसार अच्छे परिणाम देता है। चंद्रमा बुरे परिणाम देता है। यदि सूर्य 12 वें घर में हो जातक अपनी उम्र के चौबीस साल के बाद से अपनी आजीविका कमाना शुरू कर देता है। यदि केतू के साथ उच्च का बृहस्पति हो तो लाखों की आमदनी होगी। यदि दूसरे भाव में स्थित केतू अशुभ है तो जातक सूखे इलाकों की यात्राएं करेगा। जातक एक जगह पर आराम नहीं कर सकेगा और वह जगह-जगह भटकता रहेगा। आमदनी अच्छी होगी लेकिन, खर्च भी उतना ही हो जाएगा। इसप्रकार वास्तविक लाभ नगण्य हो जाएगा। यदि चंद्रमा या मंगल आठवें घर में हों तो जातक अल्पायु होगा और उसे सोलह या बीस साल की उम्र में गंभीर समस्या होगी। यदि आठवां घर खाली हो तो भी केतू बुरे परिणाम देगा।
उपाय:
(1) माथे पर केसर या हल्दी का तिलक लगाएं।
(2) चरित्र का ढीला नहीं होना चाहिए।
(3) यदि मंदिरों की धार्मिक यात्रा करें और मंदिरों में सिर झुकाएं तो दूसरे भाव का केतू अच्छे परिणाम देगा।
केतु तृतीय भाव में होने पर:-
तीसरा घर बुध और मंगल से प्रभावित होता है, दोनो ही केतू के शत्रु हैं। तीन की संख्या जातक के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि तीसरे भाव का केतू शुभ है तो जातक के बच्चे अच्छे होंगे। जातक सभ्य और भगवान से डरने वाला होगा। यदि केतू तीसरे भाव में हो और मंगल बारहवें भाव में हो तो जातक को चौबीस साल से पहले पुत्र की प्राप्ति होती है। पुत्र जातक के धन और दीर्घायु के लिए अच्छा होता है। तीसरे भाव के केतू वाला जातक लम्बी यात्राओं वाली नौकरी करता है। यदि तीसरे भाव का केतू अशुभ हो तो लातक मुकदमेबाजी में पैसे खर्च करता है। वह अपनी पत्नी या शालियों से अलग हो जाता है। ऐसा जातक दक्षिण मुखी घर में रहता है। उसे बच्चों से सम्बंधित गंभीर समस्याएं रहती हैं। ऐसा जातक किसी भी बात के लिए न नहीं कहता इसलिए वह हमेशा परेशान रहता है। जातक को अपने भाइयों से परेशानी होती है और वह बेकार की यात्रा करेगा।
उपाय:
(1) माथे पर केसर का तिलक लगाएं।
(2) सोना पहनें।
(3) बहते पानी में चावल और गुड़ बहाएं।
केतु चतुर्थ भाव में हो तो:-
चौथा भाव चंद्रमा का होता है जो कि केतू का शत्रु है। यदि चतुर्थ भाव में शुभ केतू स्थित हो तो जातक, भगवान से डरने वाला और अपने पिता तथा गुरु के लिए भाग्यशाली होता है। ऐसे जातक को गुरु के आशीर्वाद के बाद ही जातक को पुत्र की प्राप्ति होती है। पुत्र दीर्घायु होगा। ऐसा जातक अपने सभी निर्णय भगवान पर छोड़ देता है। यदि चन्द्रमा तीसरे या चौथे घर में हो तो शुभ परिणाम मिलते हैं। ऐसा जातक एक अच्छा सलाहकार होता है। उसे कभी भी पैसे की कमी नहीं रहती। यदि केतू इस भाव में अशुभ हो तो जातक अप्रसन्न रहेगा, उसकी मां को कष्ट होगा, खुशियां कम होंगी। जातक मधुमेह रोग से पीडित होगा। छत्तीस साल की उम्र के बाद ही बेटा पैदा होगा। ऐसा जातक को पुत्र की तुलना में पुत्रियां अधिक होती हैं।
उपाय:
(1) एक कुत्ता पालें।
(2) मन की शांति के लिए चांदी पहनें।
(3) बहते पानी में पीली चीजें बहाएं।
केतु पंचम भाव में होने पर:-
पांचवां घर सूर्य का होता है। यह बृहस्पति से भी प्रभावित होता है। यदि बृहस्पति, सूर्य या चंद्रमा चौथे, छठवें या बारहवें घर में हों तो आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी होगी और जातक को पांच पुत्र होंगे। चौबीस साल की उम्र के बाद केतू स्वयमेव शुभ हो जाता है। यदि पांचवें भाव में केतू अशुभ हो तो जातक अस्थमा से पीडित हो सकता है। केतू पांच साल की उम्र तक अशुभ परिणाम देता है। संतान जीवित नहीं रहती। उम्र के चौबीस साल बाद ही आजीविका शुरू होती है। जातक अपने पुत्रों के लिए शुभ नहीं होता।
उपाय:
(1) दूध और चीनी दान करें।
(2) बृहस्पति के उपाय उपयोगी रहेंगे।
केतु शष्टम भाव में होने पर:-
छठवां घर बुध का होता है। यहां केतू दुर्बल माना जाता है। हालांकि यह केतू का पक्का घर होता है। यहां केतू के परिणाम बृकस्पति की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। यह संतान के लिए अच्छे परिणाम देता है। जातक एक अच्छा सलाहकार होता है। यदि बृहस्पति शुभ हो तो जातक दीर्घायु होता है। मां खुशहाल होती है और जीवन शांतिपूर्ण होता है। यदि कोई भी दो पुरुष ग्रह जैसे सूर्य, बृहस्पति, मंगल अच्छी स्थित में हों तो केतू शुभ परिणाम देता है।यदि केतु छठे भाव में अशुभ है तो मामा परेशान रहता है। जातक भी बेकार की यात्राओं से परेशान रहता है। लोग बिना कारण के दुश्मन बन जाते हैं। जातक त्वचा रोग से परेशान रहता है। यदि चंद्रमा दूसरे भाव में हो तो मां परेशान होती है और स्वयं जातक की बृद्धा अवस्था परेशानियों में गुजरती है।
उपाय:
(1) बाएं हाथ की उंगली में सोने की अंगूठी पहनें।
(2) दूध में केसर डालकर पियें और कान में सोना पहनें।
(3) सोने की सलाई गर्म करके दूध में बुझाएं और इसके बाद उस दूध को पियें इससे मानसिक शांति बढेगी, आयु वृद्धि होगी और यह बेटों के लिए भी अच्छा रहेगा।
(4) एक कुत्ता पालें।
केतु सप्तम भाव में होने पर:-
सातवां घर बुध और शुक्र का होता है। यदि सातवें भाव में स्थित केतू शुभ हो तो जातक चौबीस साल से लेकर चालीस साल तक खूब धन कमाएगा। जातक के बच्चों के अनुपात में धन की बृद्धि होती है। जातक के दुश्मन जातक से डरते हैं। यदि जातक को बुध, बृहस्पति अथवा शुक्र का सहयोग मिलता है तो जातक को कभी भी निराश नहीं होना पडता। यदि सातवें भाव में केतू अशुभ हो तो जातक अक्सर बीमार रहता है, बेकार के वादे करता है और तैतीस साल की अवस्था तक शत्रुओं से पीडित रहता है। यदि लग्न में एक से अधिक ग्रह हों तो जातक के बच्चे नष्ट हो जाते हैं। यदि जातक गालियां देता है तो जातक नष्ट होता है। यदि केतू बुध के साथ हो तो चौतीस सालों के बाद जातक के शत्रु अपने आप नष्ट हो जाते हैं।
उपाय:
(1) झूठे वादे, घमंड और गाली देने से बचे।
(2) माथे पर केसर का तिलक लगाएं।
(3) गंभीर संकट या कष्ट के समय बृहस्पति के उपचार करें।
केतु अष्टम भाव में होने पर:-
आठवां घर मंगल ग्रह का है, जो केतु का शत्रु है। यदि आठवें भाव में केतू शुभ है तो जातक को चौंतीस साल की उम्र में अथवा जात्क की बहन या पुत्री की शादी के बाद पुत्र की प्राप्ति होती है। यदि बृहस्पति या मंगल छठवें या बारहवें घर में हों तो केतू अशुभ परिणाम नहीं देता। चंद्रमा के दूसरे भाव में स्थित होने पर भी यही परिणाम मिलता है। यदि आठवें भाव में स्थित केतू अशुभ हो तो जातक की पत्नी बीमार रहती है। पुत्र का जन्म नहीं होता, यदि होता है तो मृत्यु हो जाती है। जातक मधुमेह या मूत्र रोग से ग्रस्त होता है। यदि शनि अथवा मंगल सातवें घर में हों तो जातक दुर्भाग्यशाली होता है। आठवें भाव में अशुभ केतू के होने की अवस्था में जातक का चरित्र उसके पत्नी के स्वास्थ्य को निर्धारित करता है। छब्बीस साल की उम्र के बाद वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती हैं।
उपाय:
(1) एक कुत्ता पालें।
(2) किसी मंदिर में काला और सफेद रंग वाला कंबल दान करें।
(3) भगवान गणेश की पूजा करें।
(4) कान में सोना पहनें।
(5) माथे पर केसर का तिलक लगाएं।
केतु नवम भाव में होने पर:-
नौवां घर बृहस्पति का होता है जो केतू के पक्षधर हैं। नौवें भाव में केतू उच्च का माना जाता है। ऐसा जातक आज्ञाकारी और भाग्यशाली होता है। जातक का धन बढता है। यदि केतू शुभ हो तो जातक अपने प्रयासों से धनार्जन करता है। प्रगति होगी लेकिन स्थानांतरण नहीं होगा। यदि जातक अपने घर में सोनें की ईंट रखे तो धानागमन होता है। जातक का पुत्र भविष्य का अनुमान लगाने में सक्षम होगा। जातक अपने जीवन का एक बहुत बडा हिस्सा विदेशी भूमि में व्यतीत करता है। यदि चंद्रमा शुभ हो तो जातक अपने ननिहाल वालों की मदद करता है। यदि यहां पर केतू अशुभ हो तो जातक मूत्र विकार, पीठ में दर्द, और पैरों की समस्या से ग्रस्त होता है। जातक के बच्चे मरते जाते हैं।
उपाय:
(1) एक कुत्ते पालें।
(2) घर में सोने का एक आयताकार टुकड़ा रखें।
(3) कान में सोना पहनें।
(4) बड़ों का सम्मान करें, विशेषकर ससुर का सम्मान जरूर करें।
केतु दशम भाव में होने पर:-
दसवां घर शनि का होता है। यहाँ के केतु के परिणाम शनि की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। यदि केतु शुभ हो तो जातक भाग्यशाली होता, अपने बारे में चिन्ता करने वाला होता है और अवसरवादी होता है। उसके पिता की मृत्यु जल्दी हो जाती है। यदि शनि छठवें भाव में हो तो जातक प्रसिद्ध खिलाड़ी होता है। यदि जातक अपने भाइयों को उनके कुकर्मों के लिए क्षमा करता है तो उसकी तरकी होगी। यदि जातक का चरित्र अच्छा हो तो वह बहुत धन कमाता है। यदि दसम भाव में अशुभ केतु हो तो जातक मूत्र विकार और कान की समस्याओं से ग्रस्त होता है। जातक को हड्डियों में दर्द होता है। यदि शनि चतुर्थ भाव में हो तो जातक का घरेलू जीवन चिंताओं और परेशानियों से भरा होता है। जातक के तीन पुत्रों की मृत्यु हो जाती है।
उपाय:
(1) घर में शहद से भरा बर्तन रखें।
(2) घर में एक कुत्ता रखें विशेषकर अडतालिस साल की उम्र के बाद।
(3) व्यभिचार से बचें।
(4) चंद्रमा और बृहस्पति का उपचार करें।
केतु एकादश भाव में होने पर:-
यहाँ केतु बहुत अच्छा माना जाता है। यह धन देता है। यह घर बृहस्पति और शनि से प्रभावित होता है। यदि केतु यहाँ शुभ हो, और शनि तीसरे घर में हो तो यह बहुत धन देता है, जातक के द्वारा अर्जित धन उसके पैतृक धन से अधिक होगा, लेकिन फिर भी उसे अपने भविष्य के बारे में चिंता करने की आदत होगी। यदि बुध तीसरे भाव में हो तो यह एक राज योग होगा। यदि केतू यहां अशुभ हो तो जातक को पेट की परेशानी होती है। वह भविष्य के बारे में बहुत चिंता करता है, और बहुत परेशान होता है। यदि शनि भी अशुभ हो तो जातक की दादी अथवा माँ परेशान होती है। साथ की जातक को पुत्र या घर से कोई लाभ नहीं होता।
उपाय:
(1) काला कुत्ता पालें।
(2) गोमेद या पन्ना पहनें।
केतु द्वादश भाव में होने पर:-
यहाँ केतु को उच्च का माना जाता है। जातक अमीर होगा, बडा पद प्राप्त करेगा, और अच्छे कामों को समर्पित होगा। यदि राहू छठवें भाव में बुध के साथ हो तो बेहतर परिणाम मिलते हैं। जातक को सभी तरह के लाभ और विलासिता की चीजों की प्राप्ति होती है। यदि 12वें घर में स्थित केतु अशुभ है तो जातक किसी निस्संतान व्यक्ति से भूमि खरीदता है और खुद भी निस्संतान हो जाता है। यदि जातक किसी कुत्ते को मार देता है तो केतु हानिकर परिणाम देता है। यदि दूसरे भाव में चंद्रमा, शुक्र या मंगल ग्रह हों तो केतु हानिकर परिणाम देता है।
उपाय:
(1) भगवान गणेश की पूजा करें।
(2) चरित्र ढीला न रखें।(3) एक कुत्ता पालें।
(4) रात में अच्छी नींद के लिए तकिये के नीचे खांड और सौंफ रखें।