जाने हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार के बाद नहाना क्यों है जरुरी !
सनातन धर्म के अनुसार कुछ नियम ऐसे होते है, जो हर प्रकार के लोगो पर लागू होते है. जैसे कि यदि हमें पानी बनाना है. तो इसके लिए दो एटम हाइड्रोजन के और एक एटम ऑक्सीजन का चाहिए. फिर भले ही यह सब वस्तुए ब्रह्माण्ड के किसी भी हिस्से में क्यों न हो, इनकी जरूरत तो पड़ती ही है. ठीक इसी तरह सनातन धर्म में भी कुछ ऐसे नियम है, जिन्हे मानना बहुत जरुरी है और ये नियम महत्वपूर्ण भी होते है.सनातन धर्म में ऐसा ही एक नियम अंतिम संस्कार करना है. वैसे क्या आप जानते है, कि सनातन धर्म में अंतिम संस्कार के बाद स्नान क्यों किया जाता है. हमें यकीनहै आपको इसके बारे में पता नहीं होगा. तो चलिए आज में आपको इसका कारण बताता हूँ. दरअसल धर्म शास्त्रों के अनुसार शव यात्रा में शामिल होने और अंतिम संस्कार के मौके पर मौजूद रहने से कुछ समय के लिए ही सही, पर इंसान को जिंदगी की सच्चाई का आभास हो जाता है.अब आप सोच रहे होंगे कि जब श्मशान जाने के आध्यात्मिक लाभ है, तो अंतिम संस्कार के बाद नहाने की क्या जरूरत है? वैसे ये सवाल बहुत सेलोगो के मन में आता है, पर इसका जवाब आज मैं आपको दूंगा. चलिए आज मैं आपको बताता हूँ, कि इस परम्परा के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या है?
धार्मिक कारण.. गौरतलब है, कि श्मशान भूमि पर आये दिनयही कार्य होता है, जिससे वहां नकारात्मक शक्ति का वास हो जाता है. ऐसे में ये नकारात्मक ऊर्जा कमजोर मनोबल वाले इंसान के लिए नुकसानदायक भी हो सकती है. वही स्त्रिया पुरुषो से ज्यादा भावुक होती है. इसलिएउन्हें श्मशान भूमि पर जाने से रोका जाता है. इसके इलावा अंतिम संस्कार के बाद भी मृतआत्मा का सूक्ष्म शरीर कुछ समय के लिए वहां मौजूद रहता है और ऐसे में वह अपनी प्रकृति के अनुसार कोई हानिकारक प्रभाव भी डाल सकता है. अब ये तो धार्मिक कारण था. वैसे इसका एक वैज्ञानिक कारण भी है.
वैज्ञानिक कारण.. इसके अनुसार शव का अंतिम संस्कार करने से पहले ही वातावरण सूक्ष्म और सक्रामक कीटाणुओं से ग्रसित हो जाता है. इसके इलावा मरने वाला व्यक्ति भी किसी सक्रामक बीमारी से ग्रसित हो सकता है. ऐसे में वहां मौजूद लोगो में किसी सक्रामक रोग का असर होने की सम्भावना रहती है. वही स्नान करने के बाद ये सक्रामक कीटाणु आदि सब पानी के साथ ही बह जाते है. बस इन्ही कारणों से शव यात्रा के बाद स्नान करना जरूरी है. जी हां स्नान करने के बाद ही हमें कोई और कार्य करना चाहिए.