दस योग जो कराते हैं आदमी को विदेश यात्रा
आजकल विदेश यात्रा और विदेशों में काम करने को एक सुअवसर के रूप में देखा जाता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण में देखें तो हमारी कुंडली में बने कुछ विशेष ग्रहयोग ही हमारे जीवन में विदेश से जुड़कर काम करने या विदेश यात्रा का योग बनाते हैं। हमारी जन्मकुंडली में बारहवें भाव का सम्बन्ध विदेश और विदेश यात्रा से जोड़ा गया है इसलिए दुःख भाव होने पर भी आज के समय में कुंडली के बारहवे भाव को एक सुअवसर के रूप में देखा जाता है। चन्द्रमा को विदेश यात्रा का नैसर्गिक कारक माना गया है। कुंडली का दशम भाव हमारी आजीविका को दिखाता है तथा शनि आजीविका का नैसर्गिक कारक होता है अत: विदेश यात्रा के लिये कुंडली का बारहवां भाव, चन्द्रमा, दशम भाव और शनि का विशेष महत्व होता है।
जानिए कुंडली में कौन से योग कराते हैं विदेश यात्रा।
यदि चन्द्रमा कुंडली के बारहवें भाव में स्थित हो तो विदेश यात्रा या विदेश से जुड़कर आजीविका का योग होता है।
चन्द्रमा यदि कुंडली के छठे भाव में हो तो विदेश यात्रा योग बनता है।
चन्द्रमा यदि दशवें भाव में हो या दशवें भाव पर चन्द्रमा की दृष्टि हो तो विदेश यात्रा योग बनता है।
चन्द्रमा यदि सप्तम भाव या लग्न में हो तो भी विदेश से जुड़कर व्यापार का योग बनता है।
शनि आजीविका का कारक है अतः कुंडली में शनि और चन्द्रमा का योग भी विदेश यात्रा या विदेश में आजीविका का योग बनाता है।
यदि कुंडली में दशमेश बारहवें भाव और बारहवें भाव का स्वामी दशवें भाव में हो तो भी विदेश में या विदेश से जुड़कर काम करने का योग होता है।
यदि भाग्येश बारहवें भाव में और बारहवें भाव का स्वामी भाग्य स्थान (नवेंभाव) में हो तो भी विदेश यात्रा का योग बनता है।
यदि लग्नेश बारहवें भाव में और बारहवें भाव का स्वामी लग्न में हो तो भी व्यक्ति विदेश यात्रा करता है।
भाग्य स्थान में बैठा राहु भी विदेश यात्रा का योग बनाता है।
यदि सप्तमेश बारहवें भाव में हो और बारहवें भाव का स्वामी सातवें भाव में हो तो भी विदेश यात्रा या विदेश से जुड़कर व्यापार करने का योग बनता है।