ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई सूत्र दिए हैं।
कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से हैं।
बुध ही बुद्धि तथा वाणी का स्वामी है।
मंगल: जोश, उत्साह, उत्तेजना, पराक्रम, इच्छा, तर्क शक्ति, शत्रु पर विजय, दृढ़ निश्चय, कोर्ट कचहरी के विवादों को निपटाने की शक्ति।
शनि: अत्यधिक परिश्रम, धैर्य, सही वक्त के इंतजार का कारक है।
गुरू :हाइ कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के वकील या जज ।
राहु: चतुरता,
एडवोकेट के लिए पाठ्यक्रम श.बु.रा.मं..
मंगल+बुध+गुरू – वकील।
मंगल+गुरु +सूर्य – कानून विभाग, ।
बुध+गुरू – वकील,।
गुरु व बुध ग्रह :वकील बनने के लिए मानसिक ऊर्जा, तीव्र बुद्धि, शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता, वाक्पटुता के कारक गुरु व बुध ग्रह को देखा जाता है।गुरु ग्रह को न्याय का कारक है। करता गुरु ग्रह से प्रभाव से जातक न्यायाधीषादि जैसे उच्च पदों को प्राप्त करता है।
शनि को मजिस्ट्रेट या दण्डाधिकारी माना जाता है
गुरु, बुध व शनि :ग्रह और भाव बली होना चाहिए
शुक्र : धनी एवं सफल वकील ।
राहु ग्रह : झूठे बयान ,कूटनीतिपूर्ण व्यवहार,का कारक होता है।
मंगल ग्रह :साहसी होना चाहिए।
छठे भाव : कोर्ट-कचहरी, कानून व मुकद्दमे ।
नवम् भाव : न्याय का विचार।
द्वितीय भाव : वाक्पटुता,
पंचम भाव से बुद्धि।
दषम भाव से व्यवसाय ।
ग्रह :बुध, गुरु , मंगल ,शनि, राहु।
भाव : दूसरा, छठा, दशम, पंचम , एकादश,
द्वितीय, पंचम, षष्ठ, नवम भाव एकादश और इनके स्वामी व कारक का सम्बन्ध दषम भाव से होना चाहिए।
डी 9 ,डी १० चार्ट मे भी देखना चाहिए ।
गुरु:ज्ञान के कारक , गुरु धन तथा परामर्श
मंगल :साहस व प्रतियोगिता के कारक
दूसरा भाव :अर्थ व धन।
छठा भाव :प्रतियोगिता ,कानून।
दशम भाव :कर्म स्थान,
चतुर्थ ,पंचम भाव :शिक्षा :सलाह।
शनि का प्रभाव भी पंचम भाव/पंचमेश पर अच्छा समझा जाता है.
गुरु :पंचम ,चतुर्थ, , सप्तम, दशम ,द्वितीय भाव में हो।
पंचमेश, बुध, गुरु व राहु भी बली होना चाहिए।
बुध और राहु का परस्पर संबंध हो ,पंचम और पंचमेश से संबंध ।
लग्नेश :पंचम भाव ,पंचमेश भी पंचम, या लग्न से संबंध बनाता हो।
पंचमेश बलवान : संबंध गुरु, बुध, राहु तथा लग्नेश से हो।
ग्रह :दूसरे, पंचम तथा एकादश भावों से संबध।